विचार-विमर्श : आंदोलनकारियों व स्कूल प्रबंधकों के साथ प्रभारी डीएम ने की वार्ता

मोतिहारी : प्रभारी जिलाधिकारी भरत दूबे की अध्यक्षता में निजी विद्यालयों के प्रबंधकों एवं री-एडमीशन एवं स्कूलों द्वारा अभिभावकों के आर्थिक शोषण के विरुद्ध आंदोलन करनेवाले संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक स्थानीय राधाकृष्णन भवन में शुक्रवार की शाम संपन्न हुई़ बैठक में डीएम श्री दूबे ने दोनों पक्षों की अलग-अलग बातें सुनी़ उन्होंने जिला शिक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2015 10:43 AM
मोतिहारी : प्रभारी जिलाधिकारी भरत दूबे की अध्यक्षता में निजी विद्यालयों के प्रबंधकों एवं री-एडमीशन एवं स्कूलों द्वारा अभिभावकों के आर्थिक शोषण के विरुद्ध आंदोलन करनेवाले संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक स्थानीय राधाकृष्णन भवन में शुक्रवार की शाम संपन्न हुई़
बैठक में डीएम श्री दूबे ने दोनों पक्षों की अलग-अलग बातें सुनी़ उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय जांच दल गठित कर सात दिनों के अंदर विद्यालयों की जांच करने का निर्देश दिया़ जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद स्कूल संचालक में आवश्यक सुधार के प्रति निर्णय लिया जायेगा़
क्या है मामला
निजी विद्यालयों द्वारा मनमाने ढंग से पैसा वसूलने के मुद्दे को लेकर दो संगठनों ने विगत दिनों से आंदोलन शुरू किया है़ इसके तहत प्रशासन को मांग पत्र सौंपा गया था़ आरोप था कि स्कूलों द्वारा री-एडमीशन के नाम पर मनमाना पैसा वसूल किया जा रहा है़
वहीं ऐनुअल चार्ज के नाम पर भी अभिभावक का शोषण किया जा रहा है़ स्कूल द्वारा प्रतिवर्ष पुस्तक बदलने, ट्रांस्पोटेशन चार्ज बढ़ाने जैसे कई मुद्दे उठाये गये थे, लेकिन सबसे अहम री-एडमीशन चार्ज का था़
मामले में डीपीएस जुबली का रसीद मिला
इस दौरान डीपीएस के रसीद को डीएम के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें शुल्क के अतिरिक्त एक हजार एनुअल चार्ज और ढाई हजार री-एडमीशन चार्ज लिखा था़ डीएम ने इस पर पूछताछ की, लेकिन स्कूल के प्रतिनिधि द्वारा माकूल जवाब नहीं दिया जा सका़ डीएम ने स्पष्ट तौर पर कहां कि ऐसी चीजों को बर्दाश्त नही किया जायेगा़ इसी के साथ उन्होंने जांच दल के गठन का निर्णय लिया़
क्या कहा स्कूल प्रबंधकों ने
स्कूल प्रबंधकों की ओर से एमएस मेमोरियल पब्लिक स्कूल के डॉ सीबी सिंह, संस्कृति पब्लिक स्कूल के निदेशक डा संजीव कुमार ने अपना पक्ष रखा़ श्री सिंह ने स्कूल प्रबंधकों की ओर से कहा कि बिना किसी चीज की पड़ताल किये उसपर टिप्पणी देने से भ्रम पैदा होता है़ स्कूलों द्वारा सीबीएसइ द्वारा निर्धारित मापदंडों का पूर्णत: अनुपालन किया जाता है़ 25 प्रतिशत गरीब छात्रों के नामांकन के नियम का भी अक्षरस सभी स्कूल पालन कर रहे है़ अगर किसी प्रकार की जानकारी चाहिए तो प्रशासन विस्तार से पूछे, जिसे ससमय स्कूलों द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा़
डीएम ने दिया जांच का आदेश
दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी रामनंदन प्रसाद ने स्कूलों का ध्यान पांच बिंदुओं पर आकृष्ट कराया़ कहा कि प्रथम वर्ग में 25 प्रतिशत गरीब, अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों का नामांकन की सूची उपलब्ध करायी जाय़े एनसीइआरटी के पुस्तकों को प्राथमिकता के आधार पर स्कूल में पढाया जाय़े
स्वेच्छा से कोई छात्र अन्य प्रकाशकों की पुस्तक भी पढ़ सकता है, इसके लिए स्कूल दबाव न द़े आवश्यकतानुसार ही पुस्तकों को पाठय़क्रम में बदला जाय़े बताया कि अभिभावकों व स्कूलों के बीच नियमित बैठक नहीं होने के कारण भी तरह-तरह की भ्रांतियां पैदा होती है़ किसी भी तरह के शुल्क में बढ़ोत्तरी के पूर्व अभिभावकों की राय ली जाय़े
डीएम ने सारी बातों को सुनने के बाद निर्देश दिया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी के अध्यक्षता में एक जांच दल बनायी जायेगी, जिसमें स्थानीय अनुमंडल पदाधिकारी, अभिभावक व स्कूल के प्रतिनिधि शामिल होंग़े सात दिनों के अंदर स्कूलों की जांच कर प्रतिवेदन दी जायेगी, जिसके आधार पर कार्रवाई की जायेगी़
बैठक में उठे ये मुद्दे
बैठक में युवा संगठन के अध्यक्ष रंजीत गिरि, अधिवक्ता ममता रानी वर्मा, बिहार नवयुवक सेना के अध्यक्ष अनिकेत पांडेय, अधिवक्ता विनोद कुमार दूबे, डॉ अशोक गिरि, डॅ आरएन सिंह आदि ने एक-एक कर अपनी बातें रखीं
वक्ताओं ने स्कूलों द्वारा सीबीएसइ के नियमावली को नहीं मानने, मनमाना पैसा वसूलने, गुणवत्ता की कमी, एनुअल चार्ज के नाम पर वसूली का आरोप निजी विद्यालयों पर लगाया़ वहीं यह भी बात उठायी गयी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक वाद में स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि अभिभावकों से शुल्क के अलावा किसी भी तरह की राशि नहीं लेनी है़ ऐसे में यह जिला प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूलों द्वारा शिक्षा शुल्क के अतिरिक्त कोई दूसरी राशि नहीं वसूली जाय़े वक्ताओं ने यह भी कहा कि यह बहुत खेद का विषय है कि आवाज उठाने के बाद शिक्षा विभाग की नजर इस ओर गयी है, जबकि स्कूलों द्वारा नियमों का अनुपालन कराना शिक्षा विभाग का काम है़

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