मोतिहारीः महात्मा गांधी ने कहा था कि करोड़ों लोगों का निरक्षर रहना भारत के लिए कलंक व अभिशाप है. इससे मुक्ति पानी होगी. 8 सितंबर अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का उद्देश्य विश्व में शत प्रतिशत साक्षरता कायम करना है. आजादी के बाद निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने का महात्मा गांधी का सपना आज भी अधूरा है.
शत प्रतिशत साक्षरता के लाख प्रयास के बाद भी 2011 में हुए साक्षरता आंकड़े के अनुसार भारत में 74.04 प्रतिशत लोग साक्षर है इसमें 65.46 प्रतिशत महिलाएं व 82.14 प्रतिशत पुरुष साक्षर है. वहीं बिहार की साक्षरता दर 63.82 है. जिसमें 53.33 प्रतिशत महिला व 73.39 पुरुष साक्षर है. मगर हम अपने जिले पूर्वी चंपारण की चर्चा करे तो इसकी साक्षरता मात्र 58.26 प्रतिशत है इसमें महिलाओं की साक्षरता 47.36 तथा पुरुषों की साक्षरता 68.02 है. ऐसी स्थिति में शत प्रतिशत साक्षरता कायम करना असंभव तो नहीं पर चुनौती से कम भी नहीं है.
शहरी क्षेत्र में 61 प्रतिशत
जिले के शहरी क्षेत्रों की साक्षरता 61 प्रतिशत है जिसमें 66.51 पुरुष व 54.75 प्रतिशत महिलाएं साक्षर है. आकड़े बताते है कि जिले के नगर परिषद व नगर पंचायतों में भी शत प्रतिशत साक्षरता से हम काफी पीछे है.
प्रखंडों में 45.66 प्रतिशत
साक्षरता आकड़ा 2011 के अनुसार प्रखंडों में साक्षरता की स्थिति और खराब है. 27 प्रखंडों में औसतन 45.66 प्रतिशत लोग ही साक्षर है. जिसमें 53.85 प्रतिशत पुरुष व 36.57 प्रतिशत महिलाएं साक्षर है. प्रखंडवार आकड़ों पर ध्यान दे तो साक्षरता की स्थिति स्पष्ट हो जाती है.