17 से मलमास, नवंबर से फिर बजेगी शहनाई

रक्सौल : आज विष्णु शयनी एकादशी है. ऐसा माना जाता है कि आज से भगवान विष्णु शयन करने चले जाते हैं. भगवान विष्णु के शयन में होने के कारण शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में किये गये वैवाहिक कार्य सफल नहीं होते हैं. यही कारण है कि विष्णु शयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान की एकादशी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2015 7:39 AM
रक्सौल : आज विष्णु शयनी एकादशी है. ऐसा माना जाता है कि आज से भगवान विष्णु शयन करने चले जाते हैं. भगवान विष्णु के शयन में होने के कारण शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में किये गये वैवाहिक कार्य सफल नहीं होते हैं. यही कारण है कि विष्णु शयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान की एकादशी तक शादी विवाह के लिए लगA नहीं होते हैं.
कार्तिक मास में देवोत्थान एकादशी के बाद शादी विवाह के लगA की शुरुआत होती है, यानि 12 जून के बाद अब शादी विवाह के लिए 22 नवंबर से शुभ मुहरूत आयेगा, जो 14 दिसबंर तक रहेगा. आचार्य लालकिशोर वाजपेयी ने बताया कि 12 जून से विष्णु शयन में चले जायेंगे.
इसके बाद हरि प्रबोधनी एकादशी के बाद ही वैवाहिक कार्य होंगे. इस बीच की अवधि में वैवाहिक कार्य का करना शुभ नहीं होगा.
बन रहा मलमास का योग
आचार्य श्री वाजपेयी ने बताया कि इस वर्ष 17 जून से 16 जूलाई तक अधिकमास यानी मलमास लग रहा है. 16 जून अमावस्या तिथि से अगली अमावस्या 16 जुलाई तक सूर्य की संक्रांति नहीं होने के कारण आषाढ़ का महीना दो माह का हो गया है. इस कारण भी कोई मांगलिक कार्य इस महीने में नहीं करना चाहिए.
दीक्षा लेने को उत्तम समय
विष्णु शयनी एकादशी से हरि प्रबोधनी एकादशी के मध्य चार महीने होते हैं. जिसे चतरुमास कहा जाता है. भगवान के शयन में होने के कारण इस अवधि का पालना का भार गुरु पर होता है. आचार्य श्री वाजपेयी ने बताया कि चतुर्मास की अवधि में गुरु से दीक्षा लेना उत्तम होता है. उन्होंने बताया कि इसलिए चतुर्मास की पहली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है.
चतुर्मास में त्योहारों की धूम
चतुर्मास के दौरान गुरु पूर्णिमा से लेकर छठ महापर्व तक त्योहारों की धूम रहती है. इस बीच रक्षा बंधन, हरितालिका तीज, नागपंचमी, दशहरा, करवा चौथ, दीपावली, गोर्वधन पूजा आदि पर्व होते है. इस अवधि में पितृपक्ष का एक पखवाड़ा भी होता है जिस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं.
दान का है महत्व
हिंदू धर्म में मलमास पूर्णत: आध्यात्मिक महीना होता है. इस माह में अपनी शक्ति के अनुसार लोगों को दान व पुण्य करना चाहिए, इसका फल मिलता है. आचार्य श्री वाजपेयी ने बताया कि आषाढ़ दो महीना होने से मलमास लग रहा है. इस कारण अधिक वर्षा की संभावना है साथ ही किसानों को इसका लाभ मिलेगा.

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