मोतिहारीः जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) या मस्तिष्क ज्वर से बचाव का टीका ही एक उपाय है. इस लाइलाज बीमारी से बचाव के लिए टीका श्रेयस्कर है. आगामी 25 नवंबर से 19 दिसंबर तक सघन टीकाकरण अभियान चला कर जिले के एक वर्ष से 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को टीका देकर इस रोग से बचाया जायेगा. इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गयी है. ये बातें डीएम श्रीधर सी ने स्थानीय राधाकृष्णन भवन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही.
उन्होंने कहा कि जिले के कुल 18 लाख बच्चों को टीका दिया जायेगा. इसके लिए कुल 11841 टीकाकरण स्थल बनाये गये हैं. पहले चरण में सभी सरकारी, गैर सरकारी विद्यालयों एवं मदरसों में टीकाकरण होगा. वहीं द्वितीय चरण में आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण किया जायेगा. जबकि तीसरे चरण में ईंट भट्ठा, दुगर्म क्षेत्रों एवं खानाबदोश स्थल पर टीका देना सुनिश्चित किया जायेगा. इस अभियान में एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा, सुपरवाइजर तथा कुरियर की टीम होगी. पांच टीमों पर एक पर्यवेक्षक बनाये गये हैं. वहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं शहरी क्षेत्र में पांच-पांच लोगों की टीम का गठन किया जायेगा, जो क्षेत्र में हो रहे टीकाकरण अभियान की मॉनीटरिंग करेंगे. यह टीम डॉक्टर द्वारा संचालित होगी. टीम के साथ आवश्यक सूई व दवाएं भी उपलब्ध होगी. अभियान को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जायेगा, ताकि शत-प्रतिशत बच्चों को टीका दिया जा सके. इसके लिए सभी स्कूलों के प्राध्यापकों, बीइओ, संकुल संसाधन के लोगों के साथ बैठक की जा चुकी है. निर्देशित किया गया है कि स्कूल के बच्चों का पूर्व से ही सूची बना कर जेइ वैक्सीन कार्ड तैयार कर लिया जाये, ताकि टीकाकरण के दिन अधिक से अधिक बच्चों को टीका दिया जा सके. चूंकि यह टीका सूई द्वारा दिया जाना है. इस कारण बहुत से बच्चे डर से भी स्कूल नहीं आते हैं.
ऐसे में अभिभावकों को भी सूचना देने को कहा गया है कि उस दिन बच्चे को हर हाल में स्कूल भेजे, ताकि उन्हें टीका देकर इस बीमारी से बचाया जा सकें. इस बाबत शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विजय ने बताया कि यह क्यूलेक्स मच्छर द्वारा काटने से होता है. यह बीमारी सूअर, घोड़ा, पक्षियों में पाया जाता है. ऐसे जानवरों को काटने के बाद वह मच्छर अगर किसी व्यक्ति को काटता है, तो ऐसे में वह इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है. मच्छर काटने के चार से 14 दिन के बीच बीमारी सामने आती है. यह जानलेवा है. इस बीमारी का कोई स्पेसिफिक दवा नहीं है. इसलिए टीका ही इससे बचाव का सबसे बेहतरीन उपाय है. इसमें मृत्यु दर बहुत अधिक होती है. 100 में 24 से 44 मरीजों की मृत्यु दर आंकी गयी है. विशेष बात यह है कि जो मरीज ठीक भी हो जाते हैं, उनका दिमागी रूप से कमजोर हो जाना, आवाज में गड़बड़ी हो जाना या कोई अन्य विकृति हो जाती है.
बीमारी के लक्षणों के बारे में बताया गया कि इसमें अचानक बुखार आ जाता है. लाल चकता हो जाता है. चिड़चिड़ापन,कैय-दस्त, सिरदर्द, घबड़ाहट, चमकी जैसे लक्षण आ जाते हैं. बीमारी के लक्षण आते ही तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए, लेकिन सबसे बेहतर है कि टीका देकर बच्चों को बीमारी से सुरक्षित कर दिया जाये. इस बाबत डीएम ने अपील की कि सभी अभिभावक बच्चों को स्कूल में टीकाकरण के दिन भेज कर निश्चित रूप से टीका दिला दे. आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषक क्षेत्र के एक से 15 वर्ष के सभी आयु वर्ग के बच्चे निश्चित रूप से जाकर टीका ले लें. जिन बच्चों को टीका पड़ेगा, उनके अंगुली पर निशान दी जायेगी, ताकि पहचान किया जा सके की बच्चे को टीका लग चुका है. उन्होंने इस अभियान में सभी को शामिल होकर इसे सफल बनाने की अपील की. मौके पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ उदय नारायण सिंह, अंजूमन इस्लामिया के शकील सिद्धिकी, यूनिसेफ के नेसात अहमद, डब्ल्यूएचओ के डॉ मनीष, डॉ खुर्शीद अजीज, एसीएमओ डॉ अरुण महतो, डीआइओ डॉ आलोक, सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी अखिलेश्वर वर्मा, डॉ वीके सिंह उपस्थित थे.
सिकरहना/ढाका प्रतिनिधि के अनुसार, ढाका स्थित अनुमंडल कार्यालय में शुक्रवार को अनुमंडलाधिकारी (एसडीओ) कुमार स्वपिAल की अध्यक्षता में जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) बीमारी के टीकाकरण की जानकारी विशेष रूप से दी गयी. इसमें ढाका, घोड़ासहन, चिरैया से निजी विद्यालय के प्रधानाध्यापक, एनजीओ समेत विभिन्न सेवा संगठन के कार्यकर्ता उपस्थित थे.