प्रगति, ओजस्विता व सामाजिक समरसता का पर्व है मकर संक्रांति
मोतिहारी : 15 जनवरी शुक्रवार को सुबह 7.45 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे . इसका पुण्यकाल दिन भर बना रहेगा लेकिन मध्यकाल तक विशेष महत्व होगा. इसी के साथ सूर्य उतरायण हो जायेंगे और इसी दिन से शुभ कार्य यथा विवाह आदि आरंभ हो जायेगा.आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य सुशील कुमार पांडे […]
मोतिहारी : 15 जनवरी शुक्रवार को सुबह 7.45 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे . इसका पुण्यकाल दिन भर बना रहेगा लेकिन मध्यकाल तक विशेष महत्व होगा.
इसी के साथ सूर्य उतरायण हो जायेंगे और इसी दिन से शुभ कार्य यथा विवाह आदि आरंभ हो जायेगा.आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य सुशील कुमार पांडे ने बताया कि हिंदुओं के अधिकांश देवताओं का पदार्पण उतरी गोलार्द्ध में ही हुआ है और चूंकि भारत उतरी गोलार्द्ध में है .इसलिए मकर संक्रांति को सूर्य के उतरायण होने को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है .
मकर संक्रांति पर तिल गुड़ दान का है महत्व: मकर संक्राति के अवसर पर पवित्र नदियों व तालाबों में स्नान करने व तिल, गुड़, खिचड़ी व वस्त्र आदि दान करने का विशेष महत्व है.
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योपासना करने व तिल दान करने से दरिद्रता दूर होती है. इस दिन शिव मंदिर में तिल का तेल से दीपक जलाने ज्ञाताज्ञात समस्त पापों का नाश होता है.
बलवर्द्धक है तिल गुड़ व खिचड़ी: शीत रितु में ऋतु में तिल, गुड़, खिचड़ी, मेवा आदि बल वर्द्धक पदार्थ के सेवन से शरीर स्वस्थ्य व रोग मुक्त होता है. इसलिए इस दिन तिल मिश्रित खिचड़ी व दही चूड़ा खाने व तिल के लडू भेंट करने का विधान है .यह पर्व प्रगति,ओजस्विता व सामाजिक समरसता का पर्व भी माना जाता है .