केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से ही शहर का विकास
मोतिहारीः नगर परिषद मोतिहारी का प्रक्षेत्र साल दर साल फैलता जा रहा है, लेकिन विकास की रफ्तार काफी धीमी है. इसके कारण शहरवासियों को कई मूलभूत समस्याओं से जूझना पर रहा है. शहर में पेयजल, गंदगी, जलजमाव आदि समस्या जस की तस बनी हुई है. फिलहाल नप क्षेत्र 38 वाडरें में विभक्त है. सभी वाडरें […]
मोतिहारीः नगर परिषद मोतिहारी का प्रक्षेत्र साल दर साल फैलता जा रहा है, लेकिन विकास की रफ्तार काफी धीमी है. इसके कारण शहरवासियों को कई मूलभूत समस्याओं से जूझना पर रहा है. शहर में पेयजल, गंदगी, जलजमाव आदि समस्या जस की तस बनी हुई है. फिलहाल नप क्षेत्र 38 वाडरें में विभक्त है. सभी वाडरें में स्थिति कमोबेश एक ही जैसी है.
बरसात के दिनों में जलजमाव, गर्मी में पेयजल संकट, मुहल्लों में गंदगी व सड़कों पर सालों भर जाम की समस्या मुंह बाये खड़ी रहती है. आखिर शहरवासियों को इन समस्याओं से कब और कैसे निजात मिलेगी, इस संबंध में कुछ भी कहना मुश्किल लगता है. हालांकि नगर परिषद समस्याओं के समाधान को लेकर लगातार प्रयासरत है, लेकिन समस्याएं इतनी है कि नगर परिषद सौ कदम चल कर भी पीछे रह जाती है. इस नये साल में शहरवासियों को नगर परिषद से काफी उम्मीद है. उन्हें विश्वास है कि वर्ष 2014 में उनकी समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर नगर परिषद बेहतर समाधान करेगा.
वर्ष 2014 में कम हो सकती हैं समस्याएं
नगर परिषद के मुख्य पार्षद प्रकाश अस्थाना ने बताया कि शहर का विकास नगर परिषद के सीमित संसाधनों से नहीं हो सकता. इसके लिए केंद एवं राज्य सरकार दोनों को पहल करना होगा. शहर के अंदर ड्रेनेज एवं सिवरेज मूल समस्याएं है. इसके कारण जलजमाव व गंदगी से लोग जूझ रहे हैं. साथ ही सड़क की चौड़ी करण एवं बढ़े ट्रैफिक लोड के कंट्रोल के लिए मोतीझील पर एक और पूल की आवश्यकता महसूस की जा रही है. हालांकि इस दिशा में नगर परिषद ने वर्ष 2013 से पहल करना शुरू कर दिया है.
शहरी विकास के लिए प्लांट प्रोजेक्ट तैयार कर सरकार को भेजा गया है, जिसमें ड्रेनेज, सिवरेज, मोतीझील सौंदर्यीकरण, पेयजल व मोतीझील में पुल निर्माण का प्रस्ताव है. इनमें कुछ प्रस्ताव की संचिकाएं राज्य सरकार तो कुछ केंद्र सरकार के पास लंबित है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी सेवा यात्र के दौरान शहर के विकास को लेकर कई घोषणाएं की, लेकिन आज तक परिणाम शून्य है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद के पास जो भी संसाधन है, उससे आने वाले राजस्व से स्थापना कार्य व साफ -सफाई पर ही खर्च हो जाती है. ऐसे में शहर के विकास के लिए राज्य व केंद्र सरकार के सहायोग से ही संभव है.