गरमी छुट्टी बाद अब सात जुलाई को खुलेंगे विद्यालय
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को सत्र शुरू होने के तीन माह बाद भी किताब नहीं मिल सकी है. इसको लेकर उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है. बिना किताब छात्र विद्यालय तो पहुंचते हैं, लेकिन ज्यादातर ध्यान खेल कूद पर ही होता है. मोतिहारी : सरकार व शिक्षा […]
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को सत्र शुरू होने के तीन माह बाद भी किताब नहीं मिल सकी है. इसको लेकर उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है. बिना किताब छात्र विद्यालय तो पहुंचते हैं, लेकिन ज्यादातर ध्यान खेल कूद पर ही होता है.
मोतिहारी : सरकार व शिक्षा विभाग की ओर से प्रारंभिक विद्यालयों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देना का दावा खोखला साबित हो रहा है. जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों के प्रारंभिक विद्यालयों में अध्ययनरत लगभग छह लाख बच्चे बिना पुस्तक के विद्यालय जाने को विवश हैं. सत्र पहली अप्रैल से शुरू होता है. सत्र शुरू होने के ढाई माह बीत जाने के बाद भी सरकारी आंकड़ों के अनुसार पांच लाख 98 हजार 104 बच्चों को पुस्तक नहीं मिल पायी है. अभी प्रारंभिक विद्यालय गरमी की छुट्टी होने के कारण बंद है जो आगामी सात जुलाई से संचालित होंगी. वहीं वर्ग छह व सात के बच्चों को एक भी पुस्तक नहीं मिली है.
पुस्तक से वंचित छात्र : सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में स्थित प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या 12 लाख 10 हजार 73 है. इसमें छह लाख 11 हजार 969 छात्र-छात्राओं को विभाग द्वारा पुस्तक उपलब्ध कराया गया है. वहीं, अब भी विभिन्न विद्यालयों में पढ़ने वाले पांच लाख 98 हजार 104 छात्र-छात्राएं पुस्तक से वंचित हैं.
छात्र को नहीं मिली हिंदी की किताब : वर्ग एक से आठ तक पढ़ने वाले पांच लाख 49 हजार 333 बच्चों को हिंदी की किताबें नहीं मिली है. वहीं, सात हजार 120 बच्चे उर्दू की पुस्तक से वंचित हैं. जबकि 41 हजार 651 बच्चों को मिश्रित पुस्तक नहीं मिल पायी है. सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है.
पुस्तकों का किया गया था डिमांड : वर्ग एक से आठ तक के बच्चों के लिए राज्य शिक्षा परियोजना से 12 लाख 10 हजार 73 पुस्तकों की डिमांड डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान नीतीश चंद्र मंडल ने 17 सितंबर 2015 को किया था. बावजूद इसके 50 प्रतिशत किताब ही विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया, जिसको लेकर आधे से अधिक छात्र आज भी पुस्तक से वंचित है.