यू बजरिय, जनशांति के लिए जिला छोड़ दो

मोतिहारीः स्वतंत्रता आंदोलन का बीजारोपण चंपारण सत्याग्रह से हुआ था. निलहों का आतंक झेल रहे चंपारण के किसानों की स्थिति जानने व समीक्षा करने महात्मा गांधी 15 अप्रैल 1917 को मोतिहारी पहुंचे. यह गांधीजी की पहली चंपारण यात्र थी. वे अगले दिन यानी 16 अप्रैल को धरनीधर प्रसाद और रामनवमी बाबू के साथ कृषकों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2014 4:37 AM

मोतिहारीः स्वतंत्रता आंदोलन का बीजारोपण चंपारण सत्याग्रह से हुआ था. निलहों का आतंक झेल रहे चंपारण के किसानों की स्थिति जानने व समीक्षा करने महात्मा गांधी 15 अप्रैल 1917 को मोतिहारी पहुंचे. यह गांधीजी की पहली चंपारण यात्र थी.

वे अगले दिन यानी 16 अप्रैल को धरनीधर प्रसाद और रामनवमी बाबू के साथ कृषकों का हाल जानने कोटवा प्रखंड के जसौली पट्टी चल दिये. गांधीजी के आगमन से ब्रिटिश सरकार सशंकित थी. जैसे ही गांधीजी चंद्रहियां गांव पहुंचे, मोतिहारी के तत्कालीन कलक्टर डब्ल्यू बी हेकाक ने अपने दारोगा के हाथों गांधी जी को नोटिस तामील कराया. नोटिस में लिखा था, ‘यू बजरिय आपको आगाह किया जाता है कि इस जिला में आपकी उपस्थिति जन शांति के लिए खतरनाक है और घोर अव्यवस्था फैला सकती है. अत: इसके द्वारा आपको आदेश दिया जाता है कि आप अपनी उपस्थिति इस जिला से हटा लें तथा अगली उपलब्ध रेलगाड़ी से जिला छोड़ दें.’ नोटिस पाते ही गांधी जी अपनी यात्र उसी स्थान से स्थगित करते हुए बैलगाड़ी से मोतिहारी वापस लौट गये. उन्होंने चंद्रहियां से धरनीधर बाबू व रामनवमी बाबू को जसौटी पट्टी किसानों से मिलने भेज दिया.

गांधी के कदम रखते ही चंपारण की धरती धन्य हो गयी थी. देश-विदेश में चंपारण की चर्चा होने लगी. ऐतिहासिक गौरव गाथा समेटे गांधी की यह कर्मभूमि आज सरकारी उपेक्षा का दंश ङोल रही है. आजादी के छह दशक बाद तत्कालीन डीएम नर्मदेश्वर लाल ने यहां के विकास के लिए कुछ सार्थक कदम उठाया. मुख्यमंत्री विकास योजना के तहत गांधी पार्क व चहारदीवारी का निर्माण कराया . 47 लाख 12 हजार 700 रुपये की लागत से भवन प्रमंडल विभाग ने निर्माण कराया, लेकिन जितना विकास होना चाहिए, उतना हुआ नहीं. सिर्फ देखने के लिए चहारदीवारी है.

पार्क में फूल के कुछ पौधे लगा कर इतिश्री समझ ली गयी है. बापू के पूर्व से स्थापित प्रतिमा को देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां का कितना विकास हुआ है. प्रतिमा के चट्टे छोड़ रहे हैं. हालांकि, पार्क में कार्यरत माली सह चौकीदार कृष्णा राय पार्क को साफ-सुथरा रखने का प्रयास करते रहते हैं. परिसर का देखभाल किया जाता है. लोग बताते हैं कि गांधी स्मारक परिसर को अगर फूलों के पौधों से सजा दिया जाये, तो यह जिले का सबसे बेहतर पार्क होगा. और वहां राजमार्ग-28 व जीवधारा रेलवे स्टेशन के समीप होने के कारण पर्यटकों के आने-जाने का सिलसिला आरंभ हो जायेगा.

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