कृषि सलाहकारों ने सीखे खेती के गुर
मोतिहारीः वैज्ञानिक तकनीक से खेती कर तेलहनी व दलहनी फसलों की बेहतर उत्पादन जा सकती है. ऐसे में जरूरत है किसानों को आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जाये. उक्त बातें जिला कृषि कार्यालय में शनिवार को आईसोपोम योजना के तहत प्रशिक्षण देते डीएओ सुधीर कुमार वाजपेयी ने कही. उन्होंने कहा कि सरसों तोरी में बीज […]
मोतिहारीः वैज्ञानिक तकनीक से खेती कर तेलहनी व दलहनी फसलों की बेहतर उत्पादन जा सकती है. ऐसे में जरूरत है किसानों को आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जाये. उक्त बातें जिला कृषि कार्यालय में शनिवार को आईसोपोम योजना के तहत प्रशिक्षण देते डीएओ सुधीर कुमार वाजपेयी ने कही. उन्होंने कहा कि सरसों तोरी में बीज उपचार के लिये धिरम दो से तीन ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज देना आवश्यक है.
वहीं फूल की अवस्था में फसलों की एक सिंचाई करें और सिंचाई के बाद नाईट्रोजन 30 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर और बोरम 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें. वहीं तेलहनी फसल में लाई कीट से बचाव के लिये छिड़काव आवश्यक है. इस रोग का प्रकोप होने पर मालाथियान 500 एमएल प्रति हेक्टेयर के दर से पानी घोल तैयार कर छिड़काव करें.
उन्होंने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले कृषि सलाहकारों को मक्का खेती को भी आधुनिक तरीके से कराने की सलाह दी. कहा कि गांवों में किसानों तक पहुंच कर उन्हें भी आधुनिक खेती के लिये प्रेरित करें. प्रशिक्षण में किसान परामर्शी डा. मुकेश कुमार ने दलहन व तेलहन खेती के प्रबंधन पर प्रकाश डाला. वहीं कृषि समंयवक जय प्रकाश कुमार व संतोष सिंह ने कीट ब्याधि से बचाव के उपाय बताये.मौके पर आत्मा पीडी बीएन शर्मा, डीएचओ गणोश प्रसाद, एसएओ रत्नाकर द्विवेदी, रमण कुमार श्रीवास्तव सहित सभी बीएओ मौजूद थे.