समस्तीपुर के पंकज मोहन बने नालंदा विवि के वीसी

समस्तीपुर : जीवन के शांत झील में पत्थर फेंक कर उद्वेलित करने से क्या फायदा. यह शब्द किसी और के नहीं बल्कि नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि के नये कुलपति डाॅ पंकज मोहन के हैं. जब उनके पिता शादी करने के लिए उन पर दबाव डालते थे, तो वह सिर्फ यही बात कह कर टाल देते थे. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2016 4:41 AM

समस्तीपुर : जीवन के शांत झील में पत्थर फेंक कर उद्वेलित करने से क्या फायदा. यह शब्द किसी और के नहीं बल्कि नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि के नये कुलपति डाॅ पंकज मोहन के हैं. जब उनके पिता शादी करने के लिए उन पर दबाव डालते थे, तो वह सिर्फ यही बात कह कर टाल देते थे. पिछले दिनों गोपा सब्बरवाल की जगह डॉ पंकज मोहन को नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि के वीसी की कमान सौंपी गयी है. वीसी की कमान संभालनेवाले पंकज मोहन समस्तीपुर प्रखंड के कर्पूरीग्राम पंचायत के डढ़िया गांव के रहनेवाले हैं. 55 वर्षीय डाॅ मोहन अविवाहित हैं.

कई देशों में प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके डाॅ मोहन 2015 में नालंदा विवि में बतौर प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए. वह नालंदा विवि के एडवायजरी
समस्तीपुर के पंकज
कमेटी के मेंबर भी थे. डॉ पंकज तीन भाई व एक बहन में दूसरे नंबर पर हैं. बड़े भाई सुरेंद्र मोहन अशोक पटना विवि में अंग्रेजी के प्राध्यापक हैं, जबकि छोटे भाई धीरेंद्र मोहन मुकुल कर्पूरीग्राम उच्च विद्यालय के हेडमास्टर हैं. बहन रेणु चक्रवर्ती गांधी पार्क मध्य विद्यालय से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं.
परिवार व गांव में खुशी की लहर
2015 में नालंदा अंतराष्ट्रीय विवि में इन्हें बतौर प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया. पिछले दिनों गोपा सब्बरवाल की जगह उन्हें वीसी की कमान सौंपी गयी है. मध्यम परिवार से ताल्लुक रखनेवाले डाॅ मोहन की सफलता से परिवार के साथ गांव में भी खुशी की लहर है. शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च शिखर पर आसीन होने का गौरव परिवार को है.
छोटे भाई धीरेंद्र मोहन मुकुल कहते हैं कि आज हम भाई-बहन जो भी हैं वह मां व पिताजी की देन हैं. खासकर मां ने अहम भूमिका निभायी. पंकज की कामयाबी से गौरवान्वित हूं. धीरेंद्र मोहन की पत्नी निधि सिन्हा कहती हैं कि 15 दिन पहले भी घर आये हुए थे. वे बराबर घर आते रहते हैं. परिवार व समाज के लोगों से मिलते-जुलते रहते हैं. डाॅ मोहन के बहनोई अनिल कुमार सिन्हा डीइओ ऑफिस में प्रधान सहायक पद से सेवानिवृत हैं. कहते हैं कि गर्व की अनुभूति हो रही है. बहन रेणु भी अपने भाई की सफलता से गौरवान्वित हैं.
कर्पूरीग्राम के डढ़िया गांव के
रहनेवाले हैं डॉ पंकज
दक्षिण कोरिया, चीन, आस्ट्रेलिया व डेनमार्क
में रह चुके हैं प्रोफेसर
मोहनपुर के बघरा रसलपुर हाइस्कूल से ली मैट्रिक
तक की शिक्षा
गांव में ही ली प्रारंभिक शिक्षा. डाॅ पंकज मोहन की शिक्षा-दीक्षा गांव में ही हुई. उनके पिता स्व. मदन मोहन प्रसाद वर्मा मोहनपुर प्रखंड के उच्च विद्यालय बघरा रसलपुर में अंग्रेजी के शिक्षक थे. मां स्व. विद्या वर्मा 1959 की ग्रेजुएट हैं. हालांकि, उन्होंने नौकरी करना पसंद नहीं किया. तीनों भाई व बहन अपने मां-पिताजी के साथ बघरा रसलपुर में ही रहते थे. उसी हाइस्कूल से उन्होंने मैट्रिक तक की शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद सीएम साइंस कॉलेज दरभंगा से इंटर किया.
इस दौरान डिबेट में इन्हें गोल्ड मेडल भी मिला. बाद में बीएन कॉलेज पटना से अंग्रेजी में ऑनर्स किया. जेएनयू से एमए, एमफिल, एमए इन चाइनीज लैंग्वेज के साथ कई भाषाओं की शिक्षा ग्रहण की. 1984 में वे अध्ययन के लिए कोरिया चले गये. दक्षिण कोरिया के सियोल विवि में प्रोफेसर बने. इसके बाद वे आस्ट्रेलिया व चीन में भी प्रोफेसर रहे.

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