शहर में लगेगी एलइडी लाइट निविदा. एक सप्ताह में शुरू होगा काम

मोतिहारी : शहर में एलइडी वेपर लगाने की योजना पर कवायद तेज हो गयी है. एलइडी निविदा की प्रक्रिया में नप प्रशासन एक कदम का रास्ता तय कर ली है. निविदा प्रक्रिया की अलगी कड़ी में एजेंसी का चयन मात्र शेष है. उम्मीद है कि अगले सप्ताह एलइडी कार्य एजेंसी का चयन के साथ क्रियान्वयन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2017 3:13 AM

मोतिहारी : शहर में एलइडी वेपर लगाने की योजना पर कवायद तेज हो गयी है. एलइडी निविदा की प्रक्रिया में नप प्रशासन एक कदम का रास्ता तय कर ली है. निविदा प्रक्रिया की अलगी कड़ी में एजेंसी का चयन मात्र शेष है. उम्मीद है कि अगले सप्ताह एलइडी कार्य एजेंसी का चयन के साथ क्रियान्वयन संबंधी आदेश भी जारी हो जायेगा. शनिवार को एलइडी निविदा की तकनीकी बीड खोली गयी.

क्रय समिति के सदस्यों की उपस्थिति में निविदा में भाग लेनेवाली एजेंसियों के कागजात को सूचीबद्ध किया गया. इस दौरान एजेंसियों के कागजात की सूक्षमता से अवलोकन की गयी. इसकी जानकारी देते हुए नप कार्यपालक पदाधिकारी अमर मोहन प्रसाद ने बताया कि एलइडी निविदा की तकनीकी बीड खोली गयी है. निविदा डालनेवाली सभी एजेंसियों के आवश्यक कागजात की जांच कर शीघ्र ही एजेंसी का चयन किया जायेगा.
पहल रद्द हाे चुकी है निविदा : एलइडी निविदा में तीन एजेंसियों ने भाग लिया है. शहर के गायत्री इलेक्ट्रिक एवं गोल्ड मदर के अलावा गोपालगंज की अमर एजेंसी ने निविदा डाली है. इससे पूर्व एलइडी वेपर लगाने की हुई निविदा में गायत्री इलेक्ट्रिक नामक एजेंसी का चयन किया गया था. लेकिन वित्तीय प्रभार के मामले के कारण निविदा रद्द कर दी गयी.
भुगतान नहीं होने पर बंद कर िदया था काम
पूर्व की निविदा में चयनित कार्य एजेंसी गायत्री कई वार्ड में वेपर लगा चुकी है. निविदा एकरारनामा शर्त के मुताबिक लगायी गयी वेपर का भुगतान नहीं होने को लेकर बाद में एजेंसी ने कार्य बंद कर दिया. तभी निविदा में वित्तीय गड़बड़ी की शिकायत सामने आ गयी. फिर विभागीय निर्देश के आलोक में निविदा रद्द कर दी गयी. इस कारण गायत्री इलेक्ट्रिक एजेंसी के 20 लाख के दावा विपत्र राशि का भुगतान नहीं हुआ. वही नप प्रशासन ने वार्ड में लगे वेपर उतार लेने का आदेश भी दे डाला. कयास लगाया जा रहा है कि निविदा में शामिल गायत्री एजेंसी फिर से कार्य मिलने की उम्मीद पर अभी चुप है. लेकिन आगे की कार्रवाई में अगर एजेंसी का चयन नहीं होता है तो फिर मामले में गायत्री एजेंसी के न्यायालय के रूख से एलइडी योजना लटक भी सकती है.

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