गांधी के चंपारण आने के साथ हुआ था आजादी का बीजारोपण
गोरख बाबू का घर था पहला पड़ाव स्टेशन से पैदल पहुंचे थे गोरख बाबू के घर मोतिहारी : गांधी जी 15 अप्रैल 1917 को करीब चार बजे पंडित राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर दो साथियों बाबू धरनीधर और रामनवमी प्रसाद के साथ मोतिहारी स्टेशन ट्रेन से पहुंचे थे. उनके स्वागत में बहुत सारे लोग खड़े […]
गोरख बाबू का घर था पहला पड़ाव
स्टेशन से पैदल पहुंचे थे गोरख बाबू के घर
मोतिहारी : गांधी जी 15 अप्रैल 1917 को करीब चार बजे पंडित राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर दो साथियों बाबू धरनीधर और रामनवमी प्रसाद के साथ मोतिहारी स्टेशन ट्रेन से पहुंचे थे. उनके स्वागत में बहुत सारे लोग खड़े थे.
लोगों को देख व बातें सुन चंपारण की जो कल्पना उनके मन में थी, स्थिति उससे ज्यादा खराब दिखी. मोतिहारी स्टेशन से गोरख बाबू के घर धर्मसमाज पहुंचते ही अगले दिन के काम और उससे जुड़ी तैयारियां पूरी करने में जुट गये थे. गांधी जी के पहुंचने के बाद गोरख बाबू का घर धर्मशाला जैसा बना गया था. इसी भीड़ में काम भी जारी रहा. रात भर पत्र लिखने और पट्टी जसौली के लिए हाथी से निकलने की तैयारी भी हो रही थी. गांधी जी ने पहले दिन खुद गांव देखने और अगले दिन से नील के रैयतों से मोतिहारी में ही मिलने का कार्यक्रम तय कर दिया था. हाथी से जसौली तो नहीं जा सके, उन्हें चंद्रहिया से ही लौटना पड़ा. अंग्रेज सरकार की नोटिस व भविष्य की अहिंसक संघर्ष को देखते हुए. जहां से धरनीधर बाबू और रामनवमी प्रसाद पट्टी जसौली गये और वहां से लौटकर गांधी जी से किसानों की दास्तां बतायी थी. कहते हैं कि 15 अप्रैल को चंपारण के साथ आजादी का बीजारोपण हो गया.
तिरंगा यात्रा निकालने का निर्णय: सिकरहना ़ भाजपा सांगठनिक जिला ढाका के कार्यकर्ताओं की बैठक शुक्रवार को सुरेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह के अवसर पर तिरंगा यात्रा निकालने का निर्णय लिया गया. जो घोड़ासहन से भेलवा कोठी मधुबनी आश्रम, ढाका होते हुए बड़हरवा लखन सेन जायेगी तथा सभा के तब्दील होगी. मौके पर रमा देवी, राणा रंधीर सिंह, लालबाबू गुप्ता, पप्पू चौधरी, आकाश गुप्ता, रामबाबू प्रसाद, वसीम आलम, चुन्नू सिंह, श्रीभगवान साह, मनोज जायसवाल, सहित अन्य मौजूद थे.