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– बोली नवनिर्वाचित महिला वार्ड पार्षद

सीतामढ़ी : निकाय चुनाव में इस बार महिलाओं का दबदबा रहा है. जनता ने पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में विश्वास जताया है. महिलाओं के काम करने में विश्वास बनने को लेकर लोगों ने अपना प्रतिनिधि चुना है. हमने बात की महिला वार्ड पार्षदों से. पूछा क्या होगी प्राथमिकताएं. सभी ने एक सुर में वार्ड की […]

सीतामढ़ी : निकाय चुनाव में इस बार महिलाओं का दबदबा रहा है. जनता ने पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में विश्वास जताया है. महिलाओं के काम करने में विश्वास बनने को लेकर लोगों ने अपना प्रतिनिधि चुना है. हमने बात की महिला वार्ड पार्षदों से. पूछा क्या होगी प्राथमिकताएं. सभी ने एक सुर में वार्ड की तस्वीर बदलने व शहरवासियों की परेशानी दूर कराने की बात कहीं. पेश है नव निर्वाचित पार्षदों की बात, उनकी जुबानी :-

विभा देवी, पार्षद वार्ड एक : वार्ड की हर एक समस्या का समाधान कराना प्राथमिकता में शामिल है. आम जनता तक बुनियादी सुविधायें पहुंचाना है. सड़क, बिजली, पानी, शौचालय, नाला पर विशेष ध्यान रहेगा. गरीबों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है.
बिंदु सिंह, पार्षद वार्ड 28 : गरीबों तक सरकार प्रायोजित योजनाओं का लाभ पहुंचाना, समाज के सभी वर्ग को साथ लेकर चलना व आम जनता तक बुनियादी सुविधा पहुंचाना प्रमुखता में शामिल है.
ओरम खातून, वार्ड तीन : समाज के सभी वर्गों तक उनका हक पहुंचाना व शहरी व्यवस्था के तहत मिलने वाले लाभ को जनता तक पहुंचाना प्राथमिकता होगी.
मंजू देवी,पार्षद वार्ड 14 : जल जमाव इलाके की सबसे बड़ी समस्या है. इसका स्थायी समाधान निकाला जायेगा. वहीं लोगों के घर बिजली-पानी की व्यवस्था करना है. जहां सड़क नहीं है, वहां सड़क बनेगी.
गीता देवी, पार्षद वार्ड 19 : आम जनता की तमाम समस्याओं को दूर किया जायेगा. बिजली, पानी, सड़क व सफाई पर विशेष ध्यान दिया जायेगा.
सीतामढ़ी शहर हल्की बारिश में शहर तैरने लगता है. वहीं घर-घर में बारिश का पानी घुस जाता है. वार्ड 16, 17 व 18 समेत कई निचले इलाकों में जलजमाव रहता है. इसकी सबसे बड़ी वजह है नालों का अभाव होना. शहर में नालों का अभाव है. जहां नाले हैं वहां नियमित रूप से सफाई नहीं होती है, जबकि कई इलाकों में नासी-नालों को अतिक्रमण कर मकान बना लिया गया है.
शहर की इन समस्याओं का होगा िनदान, तो शहर होगा स्मार्ट
सीतामढ़ी शहर के लिए जाम एक लाइलाज मर्ज बन गया है, जिसके दर्द से लोग परेशान हैं. रोजाना शहर में लगते जाम के चलते स्कूली बच्चे, एंबुलेंस, दुग्ध वाहन, फायर वाहन व अन्य वाहन तो फंसते ही हैं, कामगार मजदूर, सरकारी-गैर सरकारी कर्मी व व्यवसायियों को भी भारी
जाम
परेशानी उठानी पड़ती है. शहर में यातायात पर नियंत्रण व जाम की समस्या के समाधान के लिए माकूल व्यवस्था नहीं हो सकी है.
सीतामढ़ी शहर में अतिक्रमण की समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है. चाहे सड़क हो या नाला या फिर सरकारी व सार्वजनिक स्थल. अतिक्रमणकारियों ने पूरी तरह से कब्जा बना रखा है. सड़क के किनारे अवैध रूप से दुकान व बाजार सज रहे है तो नालों की जमीन
अतिक्रमण
पर आलीशान होटल बन गये है. हालत यह है कि सड़कें अतिक्रमण के बीच गुम होकर रह गयी हैं.
सीतामढ़ी शहर भले ही धार्मिक स्थली है, लेकिन इस धार्मिक स्थली के दामन पर गंदगी का दाग बरकरार है. जगह-जगह गंदगी का साया है. केंद्र सरकार व बिहार सरकार के स्वच्छता अभियान के बावजूद इस शहर में स्वच्छता के दावे व नारे कागजों तक ही रह गये है. नगर परिषद
गंदगी
में संसाधनों का अभाव है. लिहाजा नियमित रूप से शहर की सफाई नहीं होती है.
सीतामढ़ी शहर में पेयजल की समस्या एक बड़ी समस्या है. इस शहर में पेयजल के लिए चापाकल जैसी व्यवस्था नहीं है. शहरवासियों के लिए पाइप लाइन के जरिये पेयजलापूर्ति की व्यवस्था है. लेकिन पिछले तीन साल से शहर में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था ठप है. कुछ इलाकों में
पेयजल
पहुंच भी रहा है तो दूषित पानी रहने के चलते लोग इसका उपयोग नहीं कर रहे है. हालांकि शहर में पांच बड़े जलमीनार बन कर तैयार है. नगर परिषद द्वारा पाइप बिछा दिया गया है. अगले एकाध महीनों में लोगों के घरों तक पानी पहुंचने का दावा किया जा रहा है. अब देखना यह है कि कब तक लोगों के घरों में स्वच्छ पेयजल पहुंच पाता है.

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