मोतिहारीः भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाकों की महिलाओं में अपराध की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. महिलाओं की एक बड़ी फौज जाली नोट से लेकर मादक पदार्थ की तस्करी करने वाले सिंडिकेट के लिए काम कर रहा है.
तस्करों के नेटवर्क से ज्यादातर गरीब व मजदूर परिवार की महिलाएं जुड़ी हैं, जो चंद पैसों की लालच में नेपाल से जाली नोट व मादक पदार्थ की खेप भारतीय बाजारों तक पहुंचा रही हैं. तस्करों के नेटवर्क से जुड़ी ज्यादातर महिलाएं निरक्षर हैं, जो तस्करों के सिंडिकेट का मोहरा बनी हुई हैं. हकीकत यह भी है कि सिंडिकेट से जुड़ी महिलाएं जाली नोट व मादक पदार्थ की तस्करी से देश को क्या नुकसान पहुंचा रही हैं, इससे अंजान हैं.
उनको सिर्फ अपने पेट की चिंता है, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि जाली नोट की तस्करी से जहां देश की अर्थ व्यवस्था कमजोर हो रही है, वहीं तस्करी कर लाये जा रहे मादक पदार्थ के सेवन से देश के युवाओं का भविष्य खोखला होते जा रहा है. इसका समाज पर भी गहरा असर पड़ने लगा है.
महिलाएं ही क्यों बनती हैं मोहरा
सीमावर्ती इलाकों में बसने वाली ज्यादातर महिलाएं निरक्षर हैं. यही कारण है कि चंद पैसों की लालच देकर तस्कर उन्हें अपने जाल में आसानी से फांस लेते हैं. इस काम को महिलाएं कम पैसों में भी करने के लिए तैयार रहती हैं. महिलाएं तस्करी के सामान को अपने शरीर में छुपा कर गंतव्य तक पहुंचाती हैं.
सेंट्रल जेल मोतिहारी में जाली नोट व एनडीपीएस एक्ट (मादक पदार्थ) में 20 महिलाएं बंद हैं. जेल में बंद ज्यादातर महिला भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाकों की रहने वाली हैं. इनमें सात महिला नेपाल की हैं.
सेंट्रल जेल में महिला तस्करों की संख्या से इस बात को बल मिल रहा है
कि सीमावर्ती इलाकों की महिलाओं में अपराध की प्रवृत्ति तेजी से बढ़
रही है. समय रहते इनमें जागरूकता नहीं लाया गया तो आने वाले नौजवानों व युवाओं के लिए और घातक हो सकता है.