स्वास्थ्य विभाग की फिर एक लापरवाही सामने आयी है. कर्मियों ने जीवित डॉक्टर को मृत घोषित कर दिया था. डॉक्टर वर्तमान में ओमान में कार्यरत हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ जब डॉक्टर ने जीपीएफ व एलआइसी राशि निकासी के लिए विभाग के पास पत्र लिखा. अधिकारी जिसे कल तक मृत समझ रहे थे, उसके द्वारा लिखा हुआ पत्र पाकर उनके कान खड़े हो गये. सीएस डॉ अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चार सदस्यीय टीम गठित की है.
जानकारी के अनुसार डॉक्टर अमृता जायसवाल छौड़ादानो प्रखंड के बेला अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत थी. इस दौरान 18 मार्च 2013 को सरकार से वीआरएस लेकर विदेश चली गयीं. फिलवक्त वह ओमान में रह रही हैं. संचिका के अनुसार डॉक्टर अमृता 8 जुलाई 2002 से 7 जुलाई 2003 तक सदर अस्पताल में पीपी प्रोग्रामर थीं. 7 जुलाई से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेला बाजार छोड़ादानो में पदस्थापित हुईं. इस दौरान 18 मार्च 2013 को वीआरएस लेकर विदेश चली गयीं. अभी वर्तमान में ओमान में हैं.
डॉक्टर अमृता ने सीएस सहित अन्य अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि क्लर्क विजय कुमार मेरा एलआइसी और जीपीएफ नहीं दे रहे हैं, क्योंकि मुझे मृत घोषित कर दिया गया है. जबकि मैं जीवित हूं. इसको लेकर उन्होंने साक्ष्य भी भेजे हैं.डॉक्टर अमृता ने बताया कि मुंबई में मेरे परिवार के लोग रहते थे. हम अभी ओमान में हैं.
जानकारी के अनुसार बेला में नहीं देखे जाने पर पता चला कि डॉ जायसवाल की मृत्यु काफी समय पहले हो गयी है, जब बेला बाजार में पदस्थापित थी तब भी कार्य पर उपस्थित नहीं रही. वहीं एक कर्मी द्वारा डॉ अमृता के ऐच्छिक सेवानिवृत्त चिकित्सा पदाधिकारी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेला बाजार छोड़ादानों के ग्रुप बीमा की राशि स्वीकृति एवं उनके नियुक्ति विवरणी का उक्त क्लर्क द्वारा झांसा देकर हस्ताक्षर करा लिया गया है. इसकी भी जांच टीम कर रही है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan