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ओपीडी से इमरजेंसी तक बिचौलियों का बोलबाला

बेतिया : एमजेके हॉस्पिटल की ओपीडी में शनिवार को फायरिंग व हमले की घटना को अंजाम यूं ही नहीं दिया गया है, बल्कि यह बिचौलियों का हॉस्पिटल में बढ़ते वर्चस्व का नतीजा है. जिसे रोकने में हॉस्पिटल, पुलिस और जिला प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है. लिहाजा हॉस्पिटल की ओपीडी से लेकर इमरजेंसी, वार्ड यहां […]

बेतिया : एमजेके हॉस्पिटल की ओपीडी में शनिवार को फायरिंग व हमले की घटना को अंजाम यूं ही नहीं दिया गया है, बल्कि यह बिचौलियों का हॉस्पिटल में बढ़ते वर्चस्व का नतीजा है. जिसे रोकने में हॉस्पिटल, पुलिस और जिला प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है. लिहाजा हॉस्पिटल की ओपीडी से लेकर इमरजेंसी, वार्ड यहां तक की प्रसव कक्ष तक दलालों का तगड़ा नेटवर्क काम कर रहा है.

हॉस्पिटल प्रशासन इसपर रोक इसलिए नहीं लगाता क्योंकि दलालों द्वारा मरीजों के हर जांच और दवा में डॉक्टरों का कमीशन तय है. पुलिस को फर्दबयान से हर माह लाखों की आय होती है, लिहाजा उसने भी दलालों को खुली छूट दे रखी है. लिहाजा सफेदपोशों के संरक्षण में पल रहे इन दलालों की गुंडई और दबंगई चरम पर है.

भले ही चाइल्ड लाइन कर्मी के साथ शनिवार को हुई घटना को बाइक साइड विवाद की बात कही जा ही है, लेकिन यह मामला पूरी तरह से दलालों के वर्चस्व का है. जिसे बाइक विवाद ने महज हवा दिया है. सूत्रों की माने तो हॉस्पिटल में फैले बिचौलियों को लेकर अस्पताल रोड के कुछ लोगों ने मोरचा खोलते हुए इसकी शिकायत सीएस से लेकर डीएम तक कर दी. इससे खार खाये बिचौलियों ने अपना वर्चस्व दिखाने के लिए बड़े घटना को अंजाम देने की प्लानिंग तक कर लिया. इंतजार इसे अंजाम देने का था. लिहाजा शनिवार को दो बच्चों की मेडिकल जांच के लिए डॉक्टर से पुरजा लिखवाकर चाइल्ड कर्मी विलियम अल्फ्रेड जब जांच कराने पहुंचे तो उनसे बिचौलियों से कहासुनी हो गई और फिर बिचौलियों के एक फोन करने के दस मिनट के अंदर ही हॉस्पिटल में दाखिल हुए अपराधियों ने फायरिंग कर न सिर्फ अपने वर्चस्व का प्रदर्शन किया, बल्कि दहशत भी फैला दी. जबकि ओपीडी में जिस जगह घटना को अंजाम दिया गया, वहां छह सुरक्षा गार्डों की तैनाती थी.
फर्द बयान में भी बिचौलियों की भूमिका, तय है शुल्क : हॉस्पिटल में दलालों के फैला नेटवर्क किसी से छिपा नहीं है. जिस पुलिस को हॉस्पिटल अधीक्षक ने पत्र लिख दलालों पर कार्रवाई के लिए कहा था, वहीं पुलिस हॉस्पिटल में दलालों का संरक्षण दे रही थी. यूं कहे तो मरीजों को लूटने की खुली छूट दे रखी थी. पुलिस के संरक्षण का ही मामला है कि हॉस्पिटल में फर्दबयान के लिए बकायदा शुल्क तय हो गया था. पुलिस उसी का फर्दबयान दर्ज करती थी, जो इनके दलाल को रकम मुहैया कराता था. फर्द बयान में वसूली का यह रकम 500 से लेकर 5000 तक है. जिसमें पुलिस का हिस्सा हर रोज भेजवा दिया जाता है.
फायरिंग मामले में दो पुलिस हिरासत में
चाइल्ड लाइन कर्मी से विवाद के बाद एमजे के हॉस्पिटल में फायरिंग व हमला मामले में नगर थाने की पुलिस ने छापेमारी कर दो युवकों को हिरासत में लिया है नगर थानाध्यक्ष नित्यानंद चौहान ने बताया कि मामले में हॉस्पिटल रोड निवासी विवेक कुमार पंडित व नौरंगाबाद के एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
चल रहा कमीशन का खेल सक्रिय है बड़ा रैकेट
जानकारों की मानें तो यह सारा कमीशन का खेल है और इसको लेकर दलालों का एक बड़ा रैकेट यहां तैयार हो गया है. मरीज की दवा से लेकर सभी में डॉक्टरों का पूरा कमीशन तय है. सूत्रों की मानें तो हॉस्पिटल रोड के कुछ दवा दुकानदारों और जांच घर की भूमिका इसमे है. मौजूदा समय में दलालों का यह नेटवर्क इतना फैल चुका है कि वे हॉस्पिटल में डॉक्टर के अटेंडेंट के रुप में भी कार्य करने लगे हैं. चूंकि हॉस्पिटल के डॉक्टर और स्टाफ यूनिफार्म में नहीं होते हैं. ऐसे में दलालों की पहचान
छिपी रहती है.
आये दिन होता है हंगामा, तोड़फोड़
एमजेके हॉस्पिटल में दलालों की जड़ें काफी गहरी हो चुकी है. मरीजों को दवा दिलाने, जांच कराने और रेफर करने पर उन्हें फुसला कर निजी हॉस्पिटल तक पहुंचाने में दलालों की कोई सामी नहीं है. ज्यादातर मामलों में तो मरीज इनकी बातों में आ जाते हैं, लेकिन कई बार मामला हंगामा, बवाल और तोड़फोड़ तक पहुंच जाता है. बावजूद इसके दलालों पर कार्रवाई नहीं होना प्रशासन के भूमिका पर सवाल खड़ी करती है.

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