मिलरों को करोड़ों का किया भुगतान, कागजों पर चलती रही मिल कार्रवाई
बेतिया : जिले में कागजों में कागजों में मिल चलती रही व एसएफसी मिलरों को करोड़ों का भुगतान करता रहा. इसका खुलासा मुफस्सिल पुलिस की शुरुआती अनुसंधान के बाद समाने आया है. जहां मेसर्स बजरंग राइस मिल भगवानपुर नौतन के प्रोपराइटर रामोद प्रसाद को किए गये करोड़ों के भुगतान एसएफसी ने कर दिया है. पुलिस […]
बेतिया : जिले में कागजों में कागजों में मिल चलती रही व एसएफसी मिलरों को करोड़ों का भुगतान करता रहा. इसका खुलासा मुफस्सिल पुलिस की शुरुआती अनुसंधान के बाद समाने आया है. जहां मेसर्स बजरंग राइस मिल भगवानपुर नौतन के प्रोपराइटर रामोद प्रसाद को किए गये करोड़ों के भुगतान एसएफसी ने कर दिया है.
पुलिस सूत्रों की मानें तो कांड दर्ज होने के बाद जब भौतिक सत्यापन हुआ तो यह बात सामने आयी कि उक्त स्थल पर कोई राइस मिल नहीं चलती थी. न ही चावल व धान रखने के लिए गोदाम का ही निर्माण हुआ था. वहीं कैलाश राइस मिल गोनौली ने घर में मिल दिखाकर भुगतान लिया है. जिससे सीओ से लेकर एसएफसी की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में है. अगर पुलिसिया अनुसंधान अगर तह तक होती है,तो कई अधिकारियों पर कानूनी फंदे में आ सकते हैं.
कारण यह है कि सीओ मिल लगाने के लिए जमीन का प्रमाण पत्र देता है. उसके बाद एसएफसी मिल का भौतिक सत्यापन करने के बाद ही मिलरों से चावल आपूर्ति के लिए एग्रीमेंट करता है. एग्रीमेंट के बाद ही चावल आपूर्ति के लिए राशि का भुगतान करता है.
यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन की ओर से मुफस्सिल थाना क्षेत्र के छह मिलरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. अनुसंधान में यह बात समाने आने लगी है कि इन मिलरों ने न केवल सरकारी राशि का दुरूपयोग किया बल्कि इनमें कई ऐसे मिलर हैं जिन्होंने केवल कागजों में ही सारा खेल खेल दिया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस वैसे मिलरों की तलाश में है, जिनके पास न तो खाता है और न ही बही. इन मिलरों में कोई ऐसा नहीं है.
जिनके उपर 45 लाख से कम का बकाया हो. सिस्टम के खेल में व्यवस्था फेल होती चली गयी और मिलर चावल आपूर्ति के नाम पर खेल कर करोड़ों का वारा न्यारा करते रहे. जानकारी के अनुसार मुफस्सिल थाना के दो मिलर ऐसे हैं जिनका मिल केवल कागजो में ही चला और लाखों का वारा न्यारा कर लिया गया ़ न मिलरों में और बजरंग राइस मिल्स के शामिल होने की बात कही जा रही है।अब देखना है कि पुलिस इन मिलरो के खिलाफ कितने दिनों में कार्रवाई कर रही है।
मिलरों ने नहीं दिया पाक्षिक रिपोर्ट: आपूर्ति के खेल में रुपया डकारने वाले मिलरों ने नियमों को ताक पर रख कर विभाग को करोड़ों का चूना लगाया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीओ को न तो भूमि का प्रमाण पत्र दिया गया और न ही पाक्षिक रिपोर्ट एसडीओ को दी गयी.
एसडीएम को रिपोर्ट के अनुसार चावल की अधिप्राप्ति व स्टाक की जानकारी देनी होती है.
जबकि ऐसा नहीं किया गया है. मिलरों द्वारा सर्वे रिपोर्ट के बाद ही राज्य खाद्य निगम क प्रबंधक को राशि का आवंटन करना होता है. लेकिन इसका भी पालन नहीं किया गया.
सर्वे के आधार पर मिलरों को चावल आपूर्ति को लेकर एसएफसी से मिलरों ने किया एग्रीमेंट
घोटाले में सीओ से लेकर एसएफसी की भूमिका संदेह के घेरे में
पुलिस अनुसंधान के शुरुआती दौर में ही सामने आयी घोटाले की बात
मुफस्सिल पुलिस ने छह लोगों
के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर
शुरू की कार्रवाई
कार्रवाई की जद में आ चुके मिलर एक नजर में
मिलर बकाया राशि प्रोपराइटर
मेसर्स ओम साई राइस मिल 47 लाख 43 हजार 103 रुपय उमेश राय,योगापट्टी
बजरंग इंटरप्राइजेज 1 करोड़ 96 लाख 45 हजार रुपये अशोक राय, गोनौली
मेसर्स बजरंग राइस मिल 73 लाख 56 हजार रुपये रामोद प्रसाद,भगवानपुर नौतन
पैक्स लिमिटेड, अमवा मझार 46 लाख 82 हजार रुपये योगेन्द्र प्रसाद, मझौलिया
मेसर्स पंकज राइस मिल 48 लाख 12 हजार रुपये होसिला प्रसाद, योगापट्टी
कैलाश राइस मिल 1 करोड़ 43 हजार 537 रुपये कृष्ण मोहन राय, गोनौली
थाना क्षेत्र के छह मिलरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. शीघ्र ही अनुसंधान पूरा कर डिफाल्टर मिलरों का गिरफ्तारी की जायेगी.
रमेश चंद्र उपाध्याय, थानाध्यक्ष मुफस्सिल