बेतियाः नि:शक्त बच्चों को अब कृत्रिम अंग के लिए इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. कृत्रिम अंगों की सुविधा अब उन्हें गृह जिले में ही उपलब्ध होगी. बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से जिला मुख्यालय में कृत्रिम अंग एवं अव्यव निर्माण प्लांट स्थापित करने की तैयारी अंतिम चरण में है. एक माह के अंदर कृत्रिम अंगों के निर्माण का शुभारंभ जिला मुख्यालय स्थित मध्य विद्यालय बरवत पसरैन में कर दिया गया जायेगा. इसके साथ ही पश्चिम चंपारण जिला कृत्रिम अंग निर्माण के मामले में सूबे का दूसरा जिला बन जायेगा.
यहां बताते चले कि बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से समावेशी शिक्षा कार्यक्रम के तहत नि:शक्त बच्चों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य के नौ जिलों में कृत्रिम अंग एवं अव्यव निर्माण प्लांट स्थापित किया जाना है.
इसकी शुरुआत पटना से की गयी है. वहीं पश्चिम चंपारण जिला इस कार्य को अंजाम देने वाला दूसरा जिला बनने की ओर अग्रसर है. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्वशिक्षा अभियान राजकुमार ने बताया कि कृत्रिम अंग निर्माण शुरू हो जाने पर जिले के 6 से 14 वर्ष आयु के अस्थि नि:शक्त बच्चों को कृत्रिम अंगों की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी.
गृह जिले में सुविधा उपलब्ध हो जाने से ऐसे बच्चों को शारीरिक व मानसिक परेशानी से निजात मिलने के साथ-साथ अभिभावकों को भी राहत मिलेगी. वहीं बीइपी के समावेशी शिक्षा संभाग प्रभारी म. मुस्ताक ने बताया कि कृत्रिम अंग निर्माण कार्य की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. राज्य परियोजना से राशि की उपलब्धता के बाद कार्य में गति लाने के लिए दूसरे जिलों से अर्थोटिक एवं प्रोस्थेटिक इंजीनियर बुलाये गये हैं. एक माह के अंदर कृत्रिम अंग निर्माण यूनिट का शुभारंभ कर दिया जायेगा.