ट्रेनों में जगह नहीं, शौचालयों में यात्रा
ठेलमठेल. छठ पर्व के बाद दिल्ली-मुंबई जानेवाली ट्रेनों में यात्रियों की हो रही भारी भीड़ बर्थ का संकट बेतिया : दिवाली व छठ पर्व के बाद एक बार फिर ट्रेनों में भी ठेलमठेल मची है. बेतिया से होकर दिल्ली-मुंबई जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं है. पायदान पर यात्रा करने के […]
ठेलमठेल. छठ पर्व के बाद दिल्ली-मुंबई जानेवाली ट्रेनों में यात्रियों की हो रही भारी भीड़
बर्थ का संकट
बेतिया : दिवाली व छठ पर्व के बाद एक बार फिर ट्रेनों में भी ठेलमठेल मची है. बेतिया से होकर दिल्ली-मुंबई जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं है. पायदान पर यात्रा करने के लिए लोग विवश है.
बोरे की तरह जनरल व स्लीपर कोच में यात्री भरे पड़े हैं. आलम यह है कि शौचालयों में भी यात्री ठूंसे हुए हैं. लेकिन, इनकी परेशानियों की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. शनिवार को मुजफ्फरपुर से आनंद बिहार जाने वाली सप्तक्रांति सुपरफास्ट ट्रेन के बेतिया पहुंचते ही उसमें चढ़ने के लिए यात्री जद्दोजहद करने लगे. ठेलमठेल ऐसी कि देखते ही पसीने छूट जा रहे थे. यही हालत रक्सौल से दिल्ली जाने वाली सत्याग्रह एक्सप्रेस में भी देखने को मिली. इन ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं थी. माह भर पहले स्लीपर कोच में रिजर्वेशन करा चुके यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा. स्लीपर की हालत जनरल जैसी हो गयी थी़
इसको लेकर यात्रियों ने बताया कि हर बार पर्व को लेकर ऐसी समस्याएं आती हैं. लेकिन सरकार इसपर ध्यान नहीं देती है. यात्री राजकिशोर पांडेय ने बताया कि स्लीपर में सीट आरक्षित हैं, लेकिन भीड़ ऐसी है कि सीट तक पहुंच पाना मुमकिन नहीं लग रहा है. यही हाल कालीबाग के विक्रम का भी रहा. इन्होंने बताया कि छठ में घर आये थे. तत्काल से टिकट तो ले लिया है, लेकिन सीट नहीं मिल रही है. जनरल कोच में सफर करने वाले यात्री तो बोरे की तरह ठूंसे दिखे.
ट्रेनों में चढ़ने के लिए
हो रही जद्दोजहद
बेतिया रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को ट्रेनों में चढ़ने के लिए यात्रियों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी़ एक तो टिकट के लिए काउंटरों पर मारामारी रही, ऊपर से ट्रेनों में चढ़ने को लेकर हो रही जद्दोजहद से पसीने छूट गये़ उनके पास कोई और विकल्प नहीं था़