सरकारी दावा फेल, अब भी लोटा ले खेत में शौच को जाते हैं गांव के लोग
विडंबना. ओडीएफ घोषित मुरतिया की 30 फीसदी आबादी जा रही है खुले में शौच प्रशासनिक सुस्ती कहें या फिर जागरूकता का अभाव. ओडीएफ घोषित गांवों में भी खुले में शौच जाने का सिलसिला नहीं थम रहा है. कागजों में तो यह गांव पूर्णरूप से खुले में शौच मुक्त हो चुका है, लेकिन हकीकत इसके उलट […]
विडंबना. ओडीएफ घोषित मुरतिया की 30 फीसदी आबादी जा रही है खुले में शौच
प्रशासनिक सुस्ती कहें या फिर जागरूकता का अभाव. ओडीएफ घोषित गांवों में भी खुले में शौच जाने का सिलसिला नहीं थम रहा है. कागजों में तो यह गांव पूर्णरूप से खुले में शौच मुक्त हो चुका है, लेकिन हकीकत इसके उलट है. हमने प्रभात पड़ताल में उस गांव का चयन किया, जो सूबे का पहला सात निश्चत संतृप्त गांव हैं, लेकिन जो स्थिति दिखी, वह दावों की पोल खोलती नजर आई.
जगदीशपुर : घड़ी में सुबह के साढ़े पांच बज रहे थे. कोहरे को चीरती हुई सूर्य की लालिमा धरती पर पड़ रही थी. हम जहां खड़े हैं, वह नौतन प्रखंड का वहीं मुरतिया गांव है, जहां बीते साल इसी माह में मुख्यमंत्री आये थे. तब इस गांव की सूरत ही बदल गयी थी. सड़कें चकाचक थी. घर-घर में शौचालय बना था. नल जल योजना के तहत टोटी भी लग गई थी.
सूबे का अमला गांव के इस कायाकल्प को सराह रहे थे. लेकिन आज के हालात बेहद ही जुदा दिखे. शौचालय होने के बाद भी यहां लोटा लेकर खुले में जाने का सिलसिला जारी रहा. वह भी एक, दो नहीं बल्कि गांव की करीब 30 से 40 फीसदी आबादी हाथ में लोटा लेकर जाती दिखी.
सरकारी कागजों में तो मुरतिया गांव सूबे का पहला सात निश्चय संतृप्त गांव है. यहां के सभी घरों में शौचालय बनवाने का दावा किया जा रहा है. नल-जल भी लगे हैं. सड़कें भी बन चुकी हैं. समय-समय पर अधिकारियों की टीम भी गांव का दौरा करती है, लेकिन शुक्रवार को जब प्रभात खबर टीम ने इस गांव की पड़ताल की तो सारे दावों की पोल खुल गई. भोर से ही हाथ में लोटा लेकर खुले में शौच जाने का जो सिलसिला जारी हुआ, वह दिन के नौ बजे तक चलता रहा है.
हैरत तो यह देख हुई कि महिलाएं भी खेतों की ओर जाते दिखी. यह हाल तब है, जब बड़े ही ताम-झाम के साथ बीते इसी माह की नौ तारीख को यहां इन योजनाओं का उद्घाटन किया गया था. इसके पूर्व गांव में जागरूकता कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक आदि भी करा दिये गये थे. मुख्यमंत्री खुद इस गांव के कई घरों तक पहुंच ग्रामीणों से जानकारी लिये थे. लेकिन, इसे प्रशासनिक सुस्ती कहे या फिर ग्रामीणों में जागरूकता का अभाव कि यहां ओडीएफ योजना मुंह चिढ़ाती दिख रही है. हाथ में लोटा लेकर जाते लोग खुद ब खुद प्रशासनिक दावों की चुगली करते दिख रहे हैं.
अब भी कुछ घरों में नहीं हैं शौचालय : मुरतिया गांव को पूरी तरह से ओडीएफ घोषित कर दी गई है. यहां के 203 घरों में शौचालय बना है. गांव के सिकंदर राम, चंद्रेश्वर साह, मनोज कुमार, अवधेश कुमार आदि ने बताया कि अभी भी कुछ घरों में शौचालय नहीं बना है. कुछ परिवारों में सदस्यों की संख्या अधिक है, इससे एक शौचालय से काम नहीं चलता है. कुछ जगहों पर टोटियां भी खराब हो चुकी हैं.
कहीं दरवाजा नहीं, तो कहीं भर चुकी है टंकी : प्रभात खबर की पड़ताल के दौरान दिखा कि कुछ घरों के शौचालयों का दरवाजा ही नहीं है तो कहीं पर्दा लगाया गया है. जबकि कुछ की सीटें टूट गयी हैं. सेफ्टी टैंक भर जाने की भी बात ग्रामीणों ने बताई. वहीं कुछ माह पहले इस गांव के कुछ परिवारों ने शौचालय मद का भुगतान नहीं होने पर अपना शौचालय भी तोड़ दिया था.