घर की लक्ष्मी कसें कमर, तो क्लीन सिटी बन सकता है अपना भी शहर

स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर शहर की छवि को बेहतर बनाने के लिए नगर परिषद ने कई कोशिशें शुरू कर दी हैं. हालांकि, शहरवासियों को अब और गंभीर होने की जरूरत है. खासकर गृहिणियों की पहल करने से ही बात बनेगी. वह इसलिए क्योंकि शहर में गंदगी की सबसे बड़ी वजह पॉलीथिन है. नाली, सड़क, पार्क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2018 5:06 AM

स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर शहर की छवि को बेहतर बनाने के लिए नगर परिषद ने कई कोशिशें शुरू कर दी हैं. हालांकि, शहरवासियों को अब और गंभीर होने की जरूरत है. खासकर गृहिणियों की पहल करने से ही बात बनेगी. वह इसलिए क्योंकि शहर में गंदगी की सबसे बड़ी वजह पॉलीथिन है. नाली, सड़क, पार्क हर जगह पॉलीथिन नजर आते हैं. नप कर्मी सफाई करके जाते हैं. अगले दिन दोबारा फिर वैसी ही स्थिति हो जाती है.

बेतिया : सूबे में 27 व देशभर के करीब 500 शहरों में अपनी जगह स्वच्छ सिटी में बनाना बेतिया के लिए आसान नहीं है. बावजूद इसके नगर परिषद ने तैयारी शुरू कर दी है. फिलहाल सफाई पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन इन सभी के बीच शहर में गंदगी की जो सबसे बड़ी वजह सामने आयी है, वह पॉलीथिन का बेतहाशा प्रयोग है. जिसे रोके बिना स्वच्छ शहर की परिकल्पना करना ही बेमानी है. हालांकि, नप इसे लेकर संजीदा है. जरूरत है कि अब शहरवासी आगे आये और पॉलीथिन का प्रयोग या तो बंद करें या कम करें. ताकि शहर स्वच्छ हो सके.खास यह है कि पॉलीथिन आजकल लोगों की जरूरतों में शामिल हो गया है.
कपड़े, राशन, खाद्य पदार्थ सभी को लाने के लिए पॉलीथिन का प्रयोग हो रहा है. यहां तक ही सब्जी, फल भी अब पॉलीथिन में लाये जा रहे हैं. गर्म पेय जैसे चाय, काफी को भी पॉलीथिन में लिया जा रहा है. नतीजा इसके प्रयोग पर पाबंदी आसान नहीं है. हालांकि, गृहिणियां पहल करें तो इसके प्रयोग पर काफी हद तक रोक लग सकती है. दुकानदारों को भी पहल करना होगा. पॉलीथिन मुक्त शॉप की दिशा में वह कदम बढ़ाकर बेतिया शहर को स्वच्छ शहर की श्रेणी में लाने में मदद कर सकते हैं. बता दें कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी 50 माइक्रोकोन से कम मोटाई वाले पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाने की बात कही गयी है, लेकिन शहर में इसका तनिक भी असर नहीं दिखता है. बेखौफ लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं. हालांकि इस नियम को लागू कराने की जिम्मेवारी जितनी नगर परिषद की है, उससे ज्यादा जिला प्रशासन की है. लेकिन, प्रशासन की ओर से कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है.
बंद करें पॉलीथिन फैलाना, 400 नंबर पाएं : स्वच्छता सर्वेक्षण कुल 4000 अंकों का है. इसमें से 1200 अंक कूड़ा-कचरा व इसके निष्पादन पर है. करीब 400 अंक पॉलीथिन के प्रयोग नहीं करने पर हैं. शहरवासियों की मदद से नगर परिषद को यह अंक मिल सकता है.
खतरनाक है पॉलीथिन का इस्तेमाल
पॉलीथिन का इस्तेलाम खतरनाक है. पर्यावरणविद मनोज कुमार बताते हैं कि खुले में पॉलीथिन फेंकना तो खतरनाक है ही, जमीन में दबाने से यह भूमि को बंजर कर देता है. इतना ही नहीं पानी को भी दूषित करने में पॉलीथिन वजह है. वरिष्ठ डाॅ अंजनी कुमार बताते हैं कि पॉलीथिन के प्रयोग से दूषित हुए सामग्री को प्रयोग में लाने से खांसी, दमा, श्वास संबंधी दिक्कत, हृदयरोग जैसी शिकायतें आ सकती हैं.
जलनिकासी नहीं होने की वजह है पॉलीथिन
बड़े नाले हो या छोटी नालियां, इनके जाम होने की प्रमुख वजह पॉलीथिन है. अन्य कचरे तो पानी के साथ बह जाते हैं. लेकिन पॉलीथिन नहीं बह पाता है और यह नालियों को जाम कर देता है. बारिश के दिनों में जलजमाव की वजह भी यह पॉलीथिन ही बनती है.
पॉलीथिन गंदगी की है प्रमुख वजह
शादी-विवाह में थर्मोकोल के प्लेट-गिलास पर लगे रोक
अधिक माइक्रोकोन के पॉलीथिन के ही प्रयोग में लाने की अनुमति मिलनी चाहिए. इसके अलावे शादी-विवाह में प्रयोग में लाये जाये वाले थर्मोकोल के प्लेट, ग्लास पर भी रोक लगनी चाहिए. सबसे ज्यादा गंदगी इसी की वजह से होती है. लोग इस्तेमाल करने के बाद इसे नालियों में डाल देते हैं.
एकता बरनवाल, निदेशक किडजी खिरियाघाट
बाजार में बिकने पर भी लगे प्रतिबंध
पॉलीथिन के इस्तेमाल पर रोक तभी लग सकती है, जब बाजार में ही पॉलीथिन की बिक्री पर रोक लग जाये. नगर परिषद को बोर्ड में इसका प्रस्ताव लाकर पॉलीथिन फ्री सिटी के तर्ज पर इसकी बिक्री पर ही रोक लगाने की जरूरत है. लोग भी झोले को प्रयोग में लाये. पॉलीथिन हर तरीके से नुकसानदेह है.
सुष्मिता दास, शिक्षिका संत जेवियर्स स्कूल
स्वच्छता सर्वेक्षण : 2018
जागरूकता से ही शहर में पॉलीथिन के प्रयोग पर लग सकता है रोक
50 माइक्रोकोन से कम मोटाइ का पॉलीथिन खतरनाक, बावजूद इसके लोग कर रहे प्रयोग

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