…जानें किस अधिकारी को साइबर अपराधियों ने बनाया अपना शिकार, निजी अकाउंट से उड़ाये रुपये

मैनाटांड़ (पश्चिम चंपारण) : साइबर अपराधियों का दुस्साहस दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. साइबर अपराधियों में किसी प्रकार का भय नहीं है. आम आदमी को अपना शिकार बनाते-बनाते साइबर अपराधी अधिकारियों को भी अपना शिकार बनाने लगे हैं. इस बार पश्चिम चंपारण के मैनाटांड़ के अंचलाधिकारी को अपना शिकार बनाया है. ब्लॉक होने की बात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2018 2:33 PM

मैनाटांड़ (पश्चिम चंपारण) : साइबर अपराधियों का दुस्साहस दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. साइबर अपराधियों में किसी प्रकार का भय नहीं है. आम आदमी को अपना शिकार बनाते-बनाते साइबर अपराधी अधिकारियों को भी अपना शिकार बनाने लगे हैं. इस बार पश्चिम चंपारण के मैनाटांड़ के अंचलाधिकारी को अपना शिकार बनाया है. ब्लॉक होने की बात कहते हुए पहले एटीएम कार्ड का नंबर पूछा, फिर ओटीपी (वन टाइम पिन) पूछ कर निजी अकाउंट से रुपये उड़ा लिये.

जानकारी के मुताबिक, साइबर अपराधियों ने अंचलाधिकारी नितेश कुमार के निजी अकाउंट से रुपये उड़ा कर अपना शिकार बनाया है. बताया जाता है कि अंचलाधिकारी के निजी फोन पर एक कॉल आया. कॉल करनेवाले स्वयं को बैंक का अधिकारी होने की बात कही. इसके बाद कॉल करनेवाले ने एटीएम कार्ड ब्लॉक होने की बात कहते हुए एटीएम कार्ड का 12 डिजिट का नंबर अधिकारी से पूछ लिया. इसके कुछ देर बाद फोन पर आया ओटीपी नंबर भी पूछ लिया. ठगी से अंजान रहे रहे अधिकारी ने ओटीपी भी बता दिया. इसके कुछ समय बाद ही सीओ के खाते से धनराशि निकलने का फोन पर मैसेज आया. पैसे निकलने के मैसेज आने के बाद अधिकारी जब बैंक शाखा पहुंच कर जानकारी हासिल की, तो पता लगा कि उसके खाते से पैसे ट्रांसफर हो चुके हैं.

वहीं, अंचलाधिकारी ने बताया कि मेरे खाते से पैसे की निकासी कर ली गयी है. उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस को आवेदन दिया जायेगा. बहरहाल, कितना राशि की निकासी हुई है, इसका खुलासा अधिकारी ने नहीं किया है.

ऐसे करें शिकायत

साइबर अपराधी अकाउंट से ऑनलाइन पैसे वॉलेट या किसी दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर देते हैं. साइबर सेल में तुरंत शिकायत करने पर टीम सक्रिय हो जाती है. साइबर सेल की टीम देखती है कि पैसा कहां ट्रांसफर हुआ है. यह पैसा जिस वॉलेट और बैंक अकाउंट में ट्रांसफर होता है, उसे होल्ड पर लगा दिया जाता है. इससे कैश निकाले जाने पर रोक लग जाती है. इसके बाद बैंक को साइबर फ्रॉड की शिकायत सहित संबंधित दस्तावेज भेजे जाते हैं. तीन से चार महीने में बैंक पीड़ित के अकाउंट में कैश वापस कर देती है.

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