बगहा : पूर्व सांसद व बगहा जदयू जिलाध्यक्ष कैलाश बैठा ने पार्टी के क्रियाकलापों से नाराज हो इस्तीफा देने का फैसला लिया है. चुनाव के समय में अचानक इनका अलग होने के फैसला से जदयू व एनडीए को बहुत बड़ा झटका लग सकता है. पार्टी छोड़ने को लेकर अंतिम फैसला 29 मार्च को होगा. इस बीच वह पार्टी के कार्यों से अपनेआप को अलग रखेंगे. पूर्व सांसद ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि पार्टी द्वारा हमें मोतिहारी, बेतिया तथा गोपालगंज का चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा जाता रहा और हम कार्य ईमानदारी के साथ करते आ रहे हैं. इतना ही नहीं मेरे आवास पर जदयू का कार्यालय चलता है. लेकिन, आज तक भाड़ा तक नहीं लिया. यही नहीं, पेंशन राशि को भी पार्टी के कार्य में लगा देता हूं.
कैलाश बैठा का राजनीतिक जीवन
कैलाश बैठा ने 1967 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. 1977 में सीपीआई के बैनर तले बगहा से विधानसभा का चुनाव लड़े. वे 1995 में समता पार्टी में शामिल हुए. लेकिन, जब टिकट देने का समय आया, तो पार्टी द्वारा उनका टिकट काट कर निवर्तमान सांसद महेंद्र बैठा के पुत्र नंदकिशोर चौधरी को दे दिया गया. उसके बाद वे निर्दलीय चुनाव लड़े और 25 हजार वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे. आम जनता के आग्रह पर सन 2000 में वे निर्दलीय पार्टी से चुनाव लड़े. उन्हें चुनाव चिह्न नाव मिला था. इस दौरान एक नोट व एक वोट का नारा देकर वे लोगों के बीच गये. इस बार उन्हें 43 हजार वोट मिला और वे दूसरे स्थान पर रहे. उन्होंने बताया कि वोट की बढ़त को देखते हुए 2004 में जदयू से लोकसभा का टिकट मिला और वे विजयी हुए. 2009 में विधानसभा चुनाव लड़े और विजयी रहे. उन्होंने बताया कि अब तक तीन लोकसभा का चुनाव बीत गया. लेकिन, मेरे बारे में जदयू के मुखिया द्वारा एक बार भी नहीं पूछा गया कि आप चुनाव लड़ेंगे कि नहीं. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि इस बार गोपालगंज सुरक्षित सीट से मुझे टिकट दिया जायेगा. लेकिन, पार्टी द्वारा मुझे दरकिनार किया गया. इसे लेकर पार्टी के कार्य से आज से हमने अपनेआप को अलग कर लिया है. बगहा के कार्यकर्ताओं की एक बैठक 29 मार्च को बुलायी गयी है. इसमें अंतिम फैसला लिया जायेगा.