बेतिया में चुनावी लड़ाई पुराने और नये के बीच, जातीय समीकरण से हार-जीत का होगा फैसला

गणेश वर्मा बेतिया : बॉलीवुड की चकाचौंध से इतर इस बार पश्चिम चंपारण लोकसभा चुनाव में लड़ाई नये और पुराने के बीच है. भाजपा के डॉ संजय जायसवाल तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं, तो उनके सामने पहली बार चुनावी मैदान में उतरे रालोसपा के बृजेश कुशवाहा हैं. डॉ संजय लगातार दो बार से यहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2019 7:38 AM
गणेश वर्मा
बेतिया : बॉलीवुड की चकाचौंध से इतर इस बार पश्चिम चंपारण लोकसभा चुनाव में लड़ाई नये और पुराने के बीच है. भाजपा के डॉ संजय जायसवाल तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं, तो उनके सामने पहली बार चुनावी मैदान में उतरे रालोसपा के बृजेश कुशवाहा हैं. डॉ संजय लगातार दो बार से यहां से सांसद हैं. दोनों ही बार उन्होंने बॉलीवुड के जाने-माने नाम प्रकाश झा को शिकस्त दी. 2009 में प्रकाश झा लोजपा तो 2014 में जदयू के टिकट पर लड़े थे. 2004 के चुनाव को छोड़ दें तो इस सीट पर जायसवाल परिवार का ही कब्जा रहा है.
डॉ संजय के पिता मदन जायसवाल यहां से तीन बार सांसद रह चुके हैं. 2004 में राजद के रघुनाथ झा यहां से सांसद बने थे. हालांकि इस बार परिस्थतियां थोड़ी सी बदली है.
पहला यह कि डॉ संजय के सामने इस बार कोई बाहरी उम्मीदवार नहीं है. दूसरा यह कि 2004 के बाद से पहली बार लड़ाई में गैर ब्राह्मण उम्मीदवार है. 2014 के चुनाव में प्रकाश झा जदयू से और रघुनाथ झा राजद से उम्मीदवार थे. इस बार ऐसी परिस्थितियां नहीं हैं. ऐसे में जातीय समीकरण किसके पक्ष में जायेगा, हार-जीत इसी पर निर्भर करेगा.
उम्मीदवार बहा रहे पसीना, मतदाता मौन
सुबह के आठ बज रहे हैं. स्टेशन चौक स्थित चाय की दुकान पर चर्चा चल रही है. शहर के ही रहने वाले दयानंद कहते हैं कि इस बार चंपारण की तीनों सीटें (वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण) एक ही दल के हिस्से में जा रही है.
हालांकि इनकी बात काटते हुए राजकिशोर कहते हैं कि पश्चिम चंपारण की सीट पर लड़ाई कांटे की है. राकेश कहते हैं कि किसको- कहां वोट गिराना है, सभी कोई अपना मन बना चुके हैं. उमेश पटेल कहते हैं कि इस बार राष्ट्रभक्ति की लहर है. इनका कहना है कि लोकसभा क्षेत्र में उम्मीदवार नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दे मायने रखते हैं.
दो जिलों में पड़ता है क्षेत्र अलग-अलग प्रभाव
पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र का भूगोल जितना कठिन है, वैसे ही यहां की राजनीति भी जटिल है. बगल के जिले मोतिहारी से भी इस क्षेत्र की राजनीति प्रभावित होती है. कारण कि मोतिहारी जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र पश्चिम चंपारण लोकसभा में है.
ऐसे में मोतिहारी जिले की राजनीति इन तीन विधानसभा क्षेत्रों को प्रभावित करती है. 12 मई को यहां मतदान होना है. जातीय फैक्टर के अलावे राष्ट्रवाद का मुद्दा यहां हावी दिख रहा है. स्थानीय सभी मुद्दे गौण दिख रहे हैं. मोदी विरोध व मोदी समर्थन का ही मुद्दा यहां छाया हुआ है.

Next Article

Exit mobile version