बेरोकटोक चलती है नोटों की सौदेबाजी, कमेटियां ही नहीं तमाम कंपनियां भी हैं इस ”खेल” में शामिल
बेतिया : नोटों के खेल में जुटी शहर में संचालित 100 से अधिक कमेटियों के खिलाफ अभी तक भले ही कोई पुलिसिया हलचल नहीं दिख रही है, लेकिन कमलनाथनगर से इस गोरखधंधे का खुलासा होने के बाद शहर में हो रहे आर्थिक अपराधों की परत दर परत खुलती जा रही है. ताजा खुलासा यह है […]
बेतिया : नोटों के खेल में जुटी शहर में संचालित 100 से अधिक कमेटियों के खिलाफ अभी तक भले ही कोई पुलिसिया हलचल नहीं दिख रही है, लेकिन कमलनाथनगर से इस गोरखधंधे का खुलासा होने के बाद शहर में हो रहे आर्थिक अपराधों की परत दर परत खुलती जा रही है. ताजा खुलासा यह है कि महज कमेटियां ही नहीं शहर में माइक्रोफाइनेंस की आड़ में तमाम फर्जी कंपनियां भी कमेटियों के तर्ज पर नोटों की सौंदेबाजी में शामिल हैं.
कमेटियों में जहां बिना कागजातों के लाख से लेकर करोड़ तक का लेन-देन होता हैं. वहीं यह फर्जी कंपनिया बकायदा दफ्तर खोलकर बड़े पैमाने पर नोटों के हेरफेर में शामिल हैं. लॉ एंड आर्डर संभालने में जुटी पुलिस के आर्थिक अपराधों की तरफ कम ध्यान होने का फायदा यह कमेटियां और कंपनिया भरपूर उठाती हैं.
मामला पकड़ में तब आता है, जब कोई इनकी जाल में फंसकर ठगी का शिकार होता हैं. इसकी पुष्टि दो माह पूर्व अगस्त में ही शहर के सुप्रिया रोड स्थित स्वर्ण इंडिया माइक्रोफाइनेंस कंपनी के फर्जीवाड़े से की जा सकती है, जो ग्राहकों के कई करोड़ रूपये लेकर चंपत हो गई. ठगी के शिकार होने के बाद ग्राहक अब थाने का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. पिछले कई सालों के आंकड़े को देखे तो जिले से दर्जनभर फर्जी कंपनियां ग्राहकों को अरबों रूपये का चूना लगा चुकी हैं. सूत्रों की माने तो शहर के करीब हर मुहल्लों के आवासीय मकानों में ऐसी कंपनियों का भरमार है.
खपायी जाती है ब्लैक मार्केट की कमाई : कमेटियों के संचालन के पीछे ब्लैक मार्केट की कमाई खपाने का भी धंधा उजागर हुआ है. कमेटी में शामिल एक सदस्य ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बड़े कारोबारियों की करोड़ों की ब्लैकमनी इस खेल में लगी हुई हैं. इसमें करोड़ों रूपये के नगद का लेन-देन चलता हैं. पैसा डूबने का रिस्क फैक्टर तो ज्यादा रहता हैं, लेकिन गुंडई व दबंगई के बलबूते कमेटियां चल रही हैं.