Loading election data...

मत रो मां, मैं जिंदा हूं..

।।गोलीकांड में घायल युवक ने परिजनों को फोन कर कहा।।बेतियाः नौरंगिया पुलिस फायरिंग में गोरखपुर के एक अस्पताल में इलाज करा रहा शिवमोहन को अपनी मां की चिंता है. उसे पता चला कि उसके मरने की अफवाह फैलायी गयी थी. इस वजह से उसकी मां का रो – रो कर बुरा हाल है. अफवाह के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:54 PM

।।गोलीकांड में घायल युवक ने परिजनों को फोन कर कहा।।
बेतियाः नौरंगिया पुलिस फायरिंग में गोरखपुर के एक अस्पताल में इलाज करा रहा शिवमोहन को अपनी मां की चिंता है. उसे पता चला कि उसके मरने की अफवाह फैलायी गयी थी. इस वजह से उसकी मां का रो – रो कर बुरा हाल है.

अफवाह के कारण वह सदमे में है. इसके बाद शिवमोहन ने रविवार को अपनी मां से मोबाइल पर बात की. उसने कहा कि मां, मैं ठीक हूं, जिंदा हूं, मैं अब अच्छा हो गया हूं. बहुत जल्द घर आऊंगा. तुम चिंता नहीं करो. तुम रोना बंद करो. मां तू अपना ख्याल रखना. दरअसल, परिवार
के अन्य सदस्य भी शिवमोहन से मिलना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी आड़े आ रही है.

गोरखपुर जाने और वहां रहने का खर्च वहन कर पाने में कटहरवा फुलवरिया टोला के जिंदे महतो अक्षम हैं. हालांकि शिवमोहन के बेहतर इलाज के लिए सरकारी स्तर से खर्च दिया गया है. डीएम श्रीधर सी के निर्देश पर अधिकारी गोरखपुर जाकर शिवमोहन का हाल – चाल भी लिये. स्वास्थ्य में धीरे – धीरे सुधार भी हो रहा है. शिव मोहन की तरह कई ऐसे घायल हैं जिनके परिवार के लोग चिंतित हैं.

फूट गया चुलबुल का चश्मा
पुलिस की नौकरी मिल गयी. गृह जिले में प्रशिक्षण करने का मौका मिला. फिर, थानेदार बन गये. थानेदारी मिली जंगली इलाके की. वहां लोग चौकीदार का भी सम्मान करते हैं. फिर ये तो थानेदार थे. थानेदार ऐसे कि सरकारी वाहन के अलावा एक अपना निजी वाहन भी था. अपने निजी वाहन से भी कभी-कभार चुलबुल वाला चश्मा लगा कर निकल पड़ते थे.

जब एसपी की क्राइम मीटिंग होती थी. उसमें ये आते थे तो इनके सहकर्मी आ गया चुलबुल कह कर चुटकी भी लेते थे. नौरंगिया में जब आक्रोशित ग्रामीणों ने घेरा तो जान पर बन आयी. जान बचाना मुश्किल था. उस वक्त चश्मा की फिक्र नहीं रही और भगदड़ में ही चश्मा कहीं गिर गया .

Next Article

Exit mobile version