14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भौगोलिक दृष्टिकोण से अग्रणी है चंपारण : मंत्री

बेतियाः चंपारण बिहार का न सिर्फ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक केंद्र है बल्कि भौगोलिक दृष्टिकोण से भी यह पहले नंबर पर आता है. विधान सभा व लोक सभा में भी यही से पहली गिनती शुरू होती है. हम भी अपना यह सौभाग्य मानते है कि चंपारण जैसे ऐतिहासिक व जागृत जिले के लोगों की सेवा करने […]

बेतियाः चंपारण बिहार का सिर्फ ऐतिहासिक सांस्कृतिक केंद्र है बल्कि भौगोलिक दृष्टिकोण से भी यह पहले नंबर पर आता है. विधान सभा लोक सभा में भी यही से पहली गिनती शुरू होती है. हम भी अपना यह सौभाग्य मानते है कि चंपारण जैसे ऐतिहासिक जागृत जिले के लोगों की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है.

हमारी पूरी कोशिश होगी कि जिस उम्मीद के साथ यहां की जनता ने नीतीशजी के नेतृत्व में सरकार बनाया है हम चंपारण वासियों की अपेक्षाओं पर खरे उतरे. उक्त बातें सूबे के जल संसाधन मंत्री सह जिले के प्रभारी मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शुक्रवार की सुबह स्थानीय परिषदन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही. श्री चौधरी ने कहा कि सरकार की तमाम योजनाएं चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो कारगर तरीके से जनता के बीच पहुंचनी चाहिए इसकी व्यवस्था की जा रही है.


चंपारण
वासियों का हक उन तक पहुंचे इसकी भी व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया कि बिहार में एक दो मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई उसमें भी चंपारण को प्राथमिकता दिया गया. यह अपने आप बताता है कि यहां की प्राथमिकता सरकार में कितनी है. मेडिकल कॉलेज के संबंध में बताया कि कुछ तकनीकी कारणों से मान्यता मिलने में दिक्कत हुई थी. लेकिन, नीतीशजी की सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया और मुख्यमंत्री ने स्वयं पहल कर इसकी मान्यता दिलवाई. इसी का नतीजा है कि इस साल से यहां एक सौ सीट का मेडिकल कॉलेज आरंभ हो जायेगा.


उन्होंने
कहा कि डीएम एसपी को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि सरकारी कार्य में कोताही बरतने वाले अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. श्री चौधरी ने कहा कि सभी सरकारी अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का उचित सम्मान एवं उनकी जो वाजिब मांगे होगी उनकी सुनवाई करनी होगी. मंत्री ने कहा कि वर्तमान में राजनीतिक परिवेश बदला है. 2010 में जिस गंठबंधन के साथ वे चुनाव लड़े थे आज वह अलग हो गया है. गंठबंधन के लोग क्यों अलग हुए इस बात को भी पूरे देश के लोग जानते है.

यह गंठबंधन अटलजी के नेतृत्व में कुछ वसूलों पर आपसी समझदारी के आधार पर बना था. जब तक आपसी समझदारी का निर्वहन होता रहा. गंठबंधन चलता रहा. लेकिन, धीरेधीरे सहयोगी दल की गतिविधियां बढ़ती गयी. अब वे कुछ विवादित मुद्दे कुछ विवादित चेहरों को लेकर आगे आये है. अब उन्हें गंठबंधन की परवाह नहीं है.

आतंकवादी घटनाओं को लेकर इस्तीफा की मांग की जा रही है. पूर्व में भी दूसरे प्रांतों में आतंकवादी घटनाएं होती रही है. वहां ऐसा नहीं हुआ. होना तो यह चाहिए की आतंकवाद के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों को एकमत होकर समाज को बचाने का कार्य करना चाहिए. सता से बाहर होने पर छटपटाहट हो रही है. उन्हें रचनात्मक विपक्ष की भूमिका में आना चाहिए. मौके पर विधायक राजेश सिंह, पूर्व विधायक खुश्रेद आलम, मीडिया प्रभारी उमाकांत सिंह, रामचरित्र पासवान, दिनेश प्रसाद, डा. डीपी चौधरी, असलम खां हकी, जहांगीर आलम, अब्बास अहमद, विद्या सिंह पटेल, ब्रजेश पटेल, जुनैज, रविभूषण पटेल सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें