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बिहार का यह जंगल है 300 प्रजाति की पक्षी का घर, जानें राज्य के इकलौते टाइगर रिजर्व की खासियत

Valmiki Tiger Reserve: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में करीब 300 प्रजातियों की पक्षी पाई जाती है. यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं. आइये इस टाइगर रिजर्व के बारे में जानते हैं.

Valmiki Tiger Reserve: पर्यावरण प्रेमी और पक्षी प्रेमी हर साल 5 जनवरी को राष्ट्रीय पक्षी दिवस (National Birds Day) बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. राष्ट्रीय पक्षी दिवस पक्षियों के प्रति प्यार जताने के लिए एक खास दिन होता है. जिसका मुख्य उद्देश्य पक्षियों और उनके आवासों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है. यह दिन पक्षियों के पारिस्थितिक महत्व और उनके संरक्षण के दिशा में बेहतर बनाने के लिए मनाया जाता है. बिहार का इकलौता वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है. विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों के अलावा यहां पक्षियों की करीब 300 प्रजातियां पाई जाती हैं. जिसमें 241 प्रकार की चिड़िया विशेष रूप से पाई जाती है, जो पर्यटकों के लिए खास बन रही है.

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वाल्मीकि टाइगर रिजर्व

राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाने की शुरुआत

बॉर्न फ्री यूएसए और एवियन वेलफेयर गठबंधन ने साल 2002 में पहली बार राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाने की शुरुआत की थी. राष्ट्रीय पक्षी दिवस सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में पक्षी प्रेमियों और अन्य लोग समान रूप से मनाते हैं. पक्षियों को समर्पित इस दिवस का बहुत महत्व है.

संकटग्रस्त पक्षियों का संरक्षण

एक रिपोर्ट के अनुसार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में संकटग्रस्त पक्षियों की कई प्रजातियां पाई गई हैं. इनमें रेड हेडेड वल्चर, स्लेंडर-बिल्ड वल्चर, और हिमालयन वल्चर जैसे गिद्ध शामिल हैं. वन संरक्षक ने बताया कि हमारे रिजर्व में इन संकटग्रस्त पक्षियों का रहना इस बात का संकेत है कि इस क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अब पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है. यहां के पक्षी संरक्षण पर किए जा रहे शोध और अध्ययन की वजह से यह स्थल शोधकर्ताओं के लिए भी आकर्षक है. यह रिजर्व पक्षी विज्ञान के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है और इसे और अधिक संरक्षित करने के लिए सभी की मदद की आवश्यकता है.

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प्रवासी पक्षी

प्रवासी पक्षियों का आवास

सर्दियों में इस रिजर्व में विभिन्न देशों और क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां भी ठहरती है. इनमें यूरेशियन कर्लेव, नॉर्दर्न लैपविंग, और ग्रे-हेडेड लैपविंग जैसी प्रजातियां शामिल हैं. इसके अलावा वीटीआर में स्थानीय पक्षियों की भी एक विस्तृत प्रजाति पाई जाती है. इंडियन नाइटजार, ब्लैक-ब्रेस्टेड वीवर, और इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर जैसी प्रजातियां इस रिजर्व की पारिस्थितिकी तंत्र के हिस्सा है.

वीटीआर में है सारस क्रेन, व्हाइट ईयर, नाइट हैरोन प्रजाति के पक्षी

बगहा वन प्रक्षेत्र अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि सर्वे के दौरान कुछ ऐसे पक्षी दिखाई दिये हैं जो सिर्फ वीटीआर के जंगलों में ही पाये जाते है. इसमें सारस क्रेन, व्हाइट ईयर, नाइट हैरोन, ओरिएंटल पाइड हॉर्नबिल समेत आधा दर्जन से अधिक प्रजाति के पक्षी सिर्फ वीटीआर में ही देखने को मिले हैं. सर्वे में देसी-विदेशी पक्षी में पीट हैमिल, व्हाइट आई पोचार्ड, करलु सैंडपाइपर, नार्दर्न शोमलर, रिवर लेफ्टविंग, व्हिम्ब्रल, रोडिक, सैलडैक, लेसर, व्हिसलिंग डक समेत तीन सौ प्रजाति के पक्षी वीटीआर में मिले हैं.

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कठफोड़वा पक्षी

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क्या बोले सीएफ

वीटीआर के सीएफ नेशामणि ने बताया कि यहां पक्षियों की करीब 300 प्रजातियां पाई जाती है. इनमें राष्ट्रीय पक्षी, हुदहुद, मंगल बगुला, राम तीतर, सामान्य जल मुर्गी, सामान्य तोता, सामान्य पपीहा, काली चील, कपासी चील, चित्तीदार फाख्ता, ढोर फाख्ता, धनेश, हरियल पतरिंगा, बड़ा बसन्था, कालपुठ, अंगारा, कठफोड़वा, सामान्य खकूसट, मोर, देसी मैना, पुहइया आदि आम तौर पर देखे जाते हैं. जिनमें कलिज तीतर, तीन पंजे वाला बटेर, पैराडाइज फ्लाईकैचर, ग्रे श्राइक, ग्रीन विलो वार्बलर, ग्रीन बारबेट, और व्हाइट-आइड वार्बलर जैसी प्रजातियां प्रमुख हैं. इन पक्षियों का संरक्षण इस क्षेत्र की जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है. यह रिजर्व पक्षियों के लिए एक आदर्श आवास है.

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