डॉ एसएम झा लनामिवि के वीसी
दरभंगाः ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के नये कुलपति डॉ सुरेंद्र मोहन झा होंगे. वर्तमान कुलपति डॉ समरेंद्र प्रताप सिंह का कार्यकाल गुरुवार (आठ अगस्त) को समाप्त हो रहा है. इसे देखते हुए कुलाधिपति डीवाइ पाटिल के प्रधान सचिव सुधीर कुमार राकेश ने डॉ झा को सूचित किया कि वे गुरुवार को डॉ समरेंद्र प्रताप सिंह […]
दरभंगाः ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के नये कुलपति डॉ सुरेंद्र मोहन झा होंगे. वर्तमान कुलपति डॉ समरेंद्र प्रताप सिंह का कार्यकाल गुरुवार (आठ अगस्त) को समाप्त हो रहा है. इसे देखते हुए कुलाधिपति डीवाइ पाटिल के प्रधान सचिव सुधीर कुमार राकेश ने डॉ झा को सूचित किया कि वे गुरुवार को डॉ समरेंद्र प्रताप सिंह का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद कुलपति के रूप में उनसे कार्यभार ग्रहण करेंगे.
डॉ झा ने भी इसकी पुष्टि की है. वर्तमान में डॉ झा लनामिवि के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर हैं. इससे पहले वे विवि के वाणिज्य के संकायाध्यक्ष पद को भी सुशोभित कर चुके हैं. करीब दो महीने पहले वहां उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था. इसके साथ ही लनामिवि के कुलपति की नियुक्ति को लेकर अटकलों का दौर समाप्त हो गया है.
श्री झा मूलत: सीतामढ़ी के निवासी हैं और लगभग चार दशक से वे शिक्षण कार्य से जुड़े हुए हैं. 1981 में लनामि विवि से ही श्री झा ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. इनके शोध का विषय था ‘ रेगुलेटेड मार्केट इन इंडिया- एन एपार्शियल ऑफ इट्स वर्किग. इनके निर्देशन में अब तक 10 से भी अधिक शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियां मिल चुकी है. 14 नवंबर 1975 से 13 नवंबर 1985 तक डॉ झा स्थानीय सीएम कॉलेज सहित स्नातकोत्तर, वाणिज्य विभाग और व्यवसाय प्रबंधन में बतौर शिक्षक जुड़े रहे. इसके बाद बतौर रीडर 13 नवंबर 1991 तक डॉ झा विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग में कार्यरत रहे. इसके बाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर के रूप में स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग एवं व्यवसाय प्रबंधन से अद्यतन जुड़े रहे हैं.
एडुकेशन ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल मार्केटिंग के उपनिदेशक के रूप में भी डॉ झा ने काम किया है. इसके अलावा ये लनामिवि के एमबीए के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, डीन फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, निदेशक मैनेजमेंट प्रोग्राम ऑफ एमबीए भी रहे हैं. 01 जनवरी 1949 में जन्मे डॉ सुरेंद्र मोहन झा की विशेष रूप से मार्केटिंग फील्ड में ख्याति है. इस विषय पर उनकी आधा दर्जन से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित है. कुछ वर्षो पूर्व हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर लिखी इनकी किताब बहुचर्चित रही है.