जजर्र तार से साल में तीन करोड़ की बिजली बेकार

बेतिया : गरमी शुरू होते ही शहर में बिजली की आंखमिचौनी शुरू हो गयी है. जिम्मेवार इस अघोषित कटौती के पीछे बिजली की लोड बढ़ने की वजह बता रहे हैं. यानी आपके घर का पंखा, कुलर, एसी, फ्रिज की वजह से लोड बढ़ा है और इससे बिजली सप्लाई में दिक्कत शुरू हुई है. लेकिन आपको […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2015 8:26 AM
बेतिया : गरमी शुरू होते ही शहर में बिजली की आंखमिचौनी शुरू हो गयी है. जिम्मेवार इस अघोषित कटौती के पीछे बिजली की लोड बढ़ने की वजह बता रहे हैं. यानी आपके घर का पंखा, कुलर, एसी, फ्रिज की वजह से लोड बढ़ा है और इससे बिजली सप्लाई में दिक्कत शुरू हुई है.
लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि बेतिया शहर को जितनी बिजली मिलती है उसकी 3.5 फीसदी बिजली ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस में चली जाती है. आंकड़ों पर गौर करें तो माह में 24 लाख और साल भर में तीन करोड़ रुपये की बिजली जजर्र विद्युत तार, ट्रांसफॉर्मर पी जा रहे हैं. यदि इसे व्यवस्थित कर ली जाये तो यह लॉस नहीं होगा और लोड की वजह से कटौती भी नहीं.
तीन करोड़ कैसे ?
शहर में औसत हर माह 15 हजार मेगा यूनिट बिजली की खपत होती है. इसका 3.5 फीसदी यानी 525 मेगा यूनिट बिजली ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन लॉस में जाती है. एक मेगा यूनिट बिजली की कीमत 4500 रुपये हैं. इस लिहाज से एक माह में 23 लाख 62 हजार 500 और साल भर में 2 करोड़ 83 लाख 50 हजार रुपये की बिजली बरबाद होती है.
आधे शहर की गुल रही बिजली
गरमी बढ़ते ही बिजली कटौती भी शुरू हो गयी है. रविवार की रात में आधे शहर की बिजली चार घंटे गुल रही. ट्रांसमिशन से बताया गया कि एलटी तार गिर जाने से बिजली रात में नौ से 12 तक बाधित थी.
नहीं चालू हुआ सब स्टेशन
बीते मार्च माह में दौरे पर आये नाथ पावर डिस्ट्रीब्यूशन के एमडी बालाजी मुरुगनडी ने बिहार दिवस के दिन से नौरंगाबाग सब स्टेशन चालू करने के आदेश दिये थे. लेकिन अभी तक चालू नहीं हो सका.क्या है ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन लॉस
ग्रिड से उपभोक्ता के घर तक पहुंचने में जो बिजली बेकार चली जाती है. उसे तकनीकी भाषा में लाइन लॉस कहते हैं. इसमें तापघर से वितरण घर तक लॉस बिजली को ट्रांसमिशन लॉस और सब स्टेशन से उपभोक्ता तक पहुंचने में लॉस को डिस्ट्रीब्यूशन लॉस कहते हैं. यह लॉस पुराने उपकरण, जजर्र तार व ट्रांसफॉर्मर के चलते होता है.

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