बेतियाः जिले में पदाधिकारी पीली बत्ती का जम कर दुरुपयोग कर रहे हैं, जिन्हें अधिकार नहीं है वे भी पीली बती लगा रहे हैं. पदाधिकारियों के शान का प्रतीक बन चुका पीली बती जिले के कई पदाधिकारियों के गाड़ी की शोभा बढ़ा रही है. ऐसे पदाधिकारियों की गाड़ियां शहर में सरपट दौड़ती नजर आती है. पदाधिकारी इन्हीं गाड़ियों से अपने कार्यालय आते-जाते हैं, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती. शायद, इन पर मोटर वाहन एक्ट का नियम लागू नहीं होता. पदाधिकारी ही नहीं उनके परिवार वाले भी पीली बती का लुफ्त उठा रहे हैं. आये दिन शाम के समय मुख्यालय के प्रमुख चौराहे पर ऐसी गाड़ियां दिखती है.
विभाग ने जारी किया है निर्देश
विभाग ने लाल व पीली बती के उपयोग के लिए सभी जिलाधिकारी को निर्देश जारी किया है. निर्देश के मुताबिक जिले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश,जिलाधिकारी, उप विकास आयुक्त, पुलिस अधीक्षक,अपर जिला व सत्र न्यायाधीश,अपर जिला दंडाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को ही पीली बत्ती लगानी है.
डीसीएलआर को नहीं है पीली बत्ती का अधिकार
परिवहन विभाग के निर्देश के मुताबिक डीसीएलआर को पीली बत्ती का अधिकार नहीं है. बावजूद उनकी गाड़ी में पीली बत्ती लगी है. विभागीय अधिसूचना के मुताबिक अधिसूचित गाड़ियों पर ही विभाग का नाम एवं सरकार का मोनोग्राम मान्य है. डीसीएलआर के अलावे कई अन्य पदाधिकारी भी अपनी गाड़ी पर पीली बत्ती लगाये हैं.
क्या है नियम
अगर कोई व्यक्ति प्रावधानों उल्लंघन कर अपनी गाड़ी पर लाल या पीली बती लगाता है, तो वह एक अपराध है. मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 एवं 179 के तहत उस पर कार्रवाई होगी. जबकि अन्य वाहनों के किसी भी हिस्से पर किसी तरह क ा संकेत चिह्न् या झंडा लगाना अवैध है.
कहते हैं अधिकारी
डीटीओ विनय कुमार ठाकुर ने बताया कि वे पदाधिकारियों की गाड़ी से पीली बत्ती हटाने को नहीं कह सकते. यह काम पुलिस का है. पुलिस इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही.