बेतियाः विद्युत बोर्ड का डिवीजनल कार्यालय नगर के पावर हाउस में चलता है. पावर हाउस में विद्युत कार्यपालक अभियंता व सहायक अभियंता से लेकर जेई भी बैठते हैं.लेकिन इनके ही नाक के नीचे पावर हाउस में पावर का खेल चलता है. ट्रांसफॉर्मर बदलवाने, बिल सुधार व कनेक्शन दिलाने जैसे तमाम काम के लिए कार्यालय में ही इसके एजेंट बैठे रहते हैं.
असली व नकली कर्मचारी में कोई भी फर्क उपभोक्ता नहीं समझ पाते हैं. उपभोक्ता जैसे अपनी समस्या उन्हें सुनाते हैं, वहां बैठे बिचौलिये उसे फौरन हल कराने की जिम्मेदारी ले लेते हैं. बदले में उपभोक्ताओं से एक मोटी रकम भी वसूलते हैं. अगर उपभोक्ता आनाकानी करता है तो साफ शब्दों में कहते हैं कि दौड़ते रह जाइएगा पर काम नहीं होगा. आये दिन बिचौलियों को लेकर उपभोक्ताओं से नोक-झोंक की छोटी-मोटी घटनाएं घटती रहती हैं. परंतु उनके स्थानीय व दबंग होने के कारण उनका कोई विरोध नहीं कर पाता है.
बिल गड़बड़ी में गड़बड़झाला
एक लाख, पचास हजार व बीस हजार तक मोटे रकम का बिल आया है तो उसे भी कम कराने का भी ठेका चलता है. पावर हाउस कार्यालय में बैठे एजेंट इसका ठेका आये बिल के 50 से 60 प्रतिशत कमीशन पर उपभोक्ताओं से डिल करते हैं. परेशान उपभोक्ता पहले अधिकारियों के पास चक्कर लगाते हैं. वहां से संतुष्ट नहीं होने पर इन बिचौलियों के जाल में फंस जाते हैं. विभागीय सूत्रों के अनुसार, पहले जब मैनुअल था, उस वक्त बिल की गड़बड़ी में सुधार होता था. अब कंप्यूटर से बिल आने पर कोई सुधार या कम कराने की व्यवस्था नहीं है. अगर ऐसा कोई करता है तो वह गलत है.
लगानी पड़ती है दौड़
विद्युत का कनेक्शन कराना है तो कम से कम इस कार्यालय में एक-दो माह तो दौड़ लगानी ही पड़ती है. कनेक्शन कराने में भी एजेंट हावी है. अगर उनके हाथों आवेदन नहीं किये तो कार्यालय में आपके आवेदन का अता-पता ही नहीं चलेगा. प्रति कनेक्शन डेढ़ हजार से दो हजार रुपया के कमीशन पर उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिलाया जाता है. कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के कनेक्शन के लिए 850 व शहरी क्षेत्र का 950 रुपया ही लगता है.