घोसला बनाने को प्रेरित करता है विवेक
बेतिया : बढ़ती आबादी संग कटती हरियाली ने पक्षियों का आशियाना ही छीन लिया. असर रहा कि सुबह-सुबह पक्षियों की आवाजें अब सपने सी हो गयी. बानूछापर के राजकिशोर शर्मा का बेटा विवेक लोगों को अपने मकान की छत व पेड़ों पर घोंसला बनाने की प्रेरित करता है. अपने स्कूल के सभी पौधों पर विवेक […]
बेतिया : बढ़ती आबादी संग कटती हरियाली ने पक्षियों का आशियाना ही छीन लिया. असर रहा कि सुबह-सुबह पक्षियों की आवाजें अब सपने सी हो गयी. बानूछापर के राजकिशोर शर्मा का बेटा विवेक लोगों को अपने मकान की छत व पेड़ों पर घोंसला बनाने की प्रेरित करता है.
अपने स्कूल के सभी पौधों पर विवेक ने घोंसला बना कर रख दिया है. विवेक का कहना है कि उसे यह प्रेरणा स्कूल में पर्यावरण पर आयोजित कार्यक्रमों से मिली. विवेक बताता है कि शहर में फिर से हरियाली लाना थोड़ा मुश्किल है ऐसी दशा में कृत्रिम घोंसले से पक्षियों का जीवन बचाया जा सकता है. इसी सोच के साथ लगा हूं.
बेलदारी में पानी बचाने को किया जागरूक
बेतिया : शहर से सटे बेलदारी गांव की महिलाएं पानी बचाने की हर तरकीब जानती है. ऐसा नहीं है कि इस गांव की महिलाओं ने जल संरक्षण पर कोई प्रशिक्षण लिया है.
बल्कि बानूछापर गांव के साहिल ने अपने दोस्तों संग यह कर दिखाया है. केआर स्कूल के साहिल ने अपने दोस्तों के संग इस गांव को गोद लिया है और गांव में जाकर लोगों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक किया है. साहिल बताता है कि पानी बचाने की जानकारी देते समय उन्हें लगता है कि वह पर्यावरण बचाने के लिए बड़ा काम कर रहे हैं.
कचरे भी कम जिम्मेवार नहीं
बेतिया. शहर के आबोहवा में रसायन घोलने के पीछे कचरे भी कम जिम्मेवार नहीं है. अस्पतालों के बॉयोलाजिकल अवशेष को भी कचरे के साथ फेंक दिया जाता है. जो वातावरण को दूषित करने का सबसे बड़ा कारक है. जबकि नियम है कि यां तो इन अवशेष को निष्क्रिय कर जमीन में ढ़क दिया जाय या फिर इसके निस्तारण का विशेष इंतजाम हो.
इसके अलावां शहर से निकलने वाले कूड़े के डंपिंग का भी कोई व्यवस्था नहीं है. नगर परिषद कहीं भी इसे फेंकवा देता है.
मार्निग वॉक से कतराने लगे लोग
शहर के बड़ा रमना में लोग मॉर्निग वॉक के लिए जाते थे. लेकिन अब यहां भी कचरा फेंका जा रहा है. लिहाजा इसके उठते दरुगध के चलते लोग वहां जाने से कतराने लगे हैं.