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नष्ट हो रही लाखों की कीमती पुस्तकें
ये कैसी उदासीनता : 25 वर्षो से बंद है रतनमाला का पुस्तकालय बगहा : किताबें करती हैं बातें आज कल की, बीते पल की, किताबें कुछ कहना चाहती हैं, तुमसे मिलना चाहती हैं. प्रसिद्ध रंग कवि सफदर हाशमी की ये पंक्तियां यहां एक बंद पड़े पुस्तकालय की किताबों पर सटीक बैठती है. हम बात कर […]
ये कैसी उदासीनता : 25 वर्षो से बंद है रतनमाला का पुस्तकालय
बगहा : किताबें करती हैं बातें आज कल की, बीते पल की, किताबें कुछ कहना चाहती हैं, तुमसे मिलना चाहती हैं. प्रसिद्ध रंग कवि सफदर हाशमी की ये पंक्तियां यहां एक बंद पड़े पुस्तकालय की किताबों पर सटीक बैठती है. हम बात कर रहे है शहर के रतनमाला स्थित पुस्तकालय सह सामुदायिक भवन की.
जो विगत 25 वर्षो से बंद पड़ा है. इस पुस्तकालय में लाखों रुपये से खरीद की गयी पुस्तकों को दीमक नष्ट कर रहे है. इस पुस्तकालय का लाभ आम नागरिक, निर्धन छात्र व प्रबुद्ध जनों को नहीं मिल पा रहा है. सामुदायिक भवन का उपयोग सिर्फ शादी- विवाह जैसे आयोजनों के लिए बन कर रह गया है. उल्लेखनीय है कि सामुदायिक भवन दो मंजिला है. जिसमें दूसरे तल्ले पर पुस्तकालय भवन है.
साहित्यकार व प्रबुद्ध नागरिकों में नाराजगी
कवि व साहित्यकार अविनाश कुमार पांडेय ने बताया कि आर्थिक अभाव के साथ प्रशासनिक प्रोत्साहन नहीं मिलने से पुस्तकालय का संचालन नहीं हो पा रहा है. डा. रुद्रराणिशरण शुक्ल, डा. रविकेश मिश्र, राकेश सिंह, मो. ग्यासुद्दीन, विजय कुमार पांडेय, मो. सलीम,आलमगीर रब्बानी, तुफैल अहमद, पार्षद परशुराम यादव , मो. अयूब आदि ने बताया कि पुस्तकालय में लाखों रुपये की पुस्तकें रहने के बावजूद इसका सदुपयोग नहीं हो रहा है.
जिससे प्रबुद्ध नागरिकों व साहित्यकारों में नाराजगी बनी हुई है. सभी लोगों ने एसडीएम मो. मंजूर आलम व डीएम से पुस्तकालय का संचालन कराने की मांग की है.
पूर्व एमएलसी ने कराया था निर्माण
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सह पूर्व एमएलसी उमाशंकर शुक्ला ने सामुदायिक भवन सह पुस्तकालय निर्माण के लिए अपनी निजी भूमि दान किया था. एलएलसी फंड से हीं भवन का निर्माण किया गया था.
भवन निर्माण के साथ उन्होंने सर्व धर्म समभाव के तहत चारों वेद, धर्म ग्रंथ, महान लेखकों के संपूर्ण साहित्य एवं आधुनिक लगभग 10 हजार पुस्तकों की खरीद लगभग सात लाख रुपये से की गयी थी. पुस्तकालय का निर्माण इस उद्देश्य से कराया गया था कि लोग सभी प्रकार की पुस्तकों से ज्ञान अजिर्त करेंगे. लेकिन इसके लाभ से नागरिक वंचित है. दुर्भाग्य यह है कि यह महत्वपूर्ण पुस्तकें लगभग 25 वर्षो से एक कमरे में बंद पड़ी है. आज यह पुस्तकालय विवाह भवन में तब्दील हो चुका है.
पूर्व सांसद ने छह वर्ष पूर्व खुलवाया था ताला
वाल्मीकिनगर पूर्व सांसद कैलाश बैठा ने विगत नब्बे के दशक में निर्मित सामुदायिक भवन में निर्मित पुस्तकालय का ताला प्रशासन की देखरेख में खुलवाया था. पुस्तकालय संचालन के लिए समिति का गठन भी किया गया. समिति के अध्यक्ष सह अधिवक्ता गजेंद्र धर मिश्र, सचिव रुद्रराणिशरण शुक्ल, सदस्य मिथिलेश पाठक, मो. ज्ञासुद्दीन , मो. राजा बनाये गये थे.
समिति के द्वारा पुस्तकों की देखभाल की जिम्मेदारी स्थानीय ध्रुव पाठक को सौंपी गयी. पुस्तकालय में सिर्फ छह अलमीरा है. बाकी पुस्तकें टेबल व जमीन पर रखी गयी है. विगत तीन वर्ष पूर्व पुस्तकालय के सचिव रूद्रराणिशरण शुक्ल ने पुस्तकालय की जिम्मेदारी स्वयं ले ली. तब से पुस्तकालय बंद पड़ा है.
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