बेतियाः भक्तों के समस्त पापों को जला देने वाली भगवती आदि शक्ति मां दुर्गा के आठवें रूप में महागौरी की आराधना की जाती है. पावर हाउस पूजा पंडाल के प्रधान आचार्य पंडित राधाकांत शास्त्री की माने तो पौराणिक कथा के अनुसार भगवती सती भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिये कठोर तपस्या की थी. इस कारण उनका शरीर बिल्कुल काला पड़ गया था. जिसकी वजह से महागौरी का एक नाम काली या करालिनी पड़ा.
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके शरीर को गंगाजल से धोया, जिससे माता का शरीर विद्युत प्रभा की तरह कांतिमान व गौर वर्ण का हो गया. इस कारण भगवती का नाम महागौरी पड़ा. कालांतर में इन्हें अन्नपूर्णा के नाम से भी जाना गया. महागौरी सुख, समृद्धि, अन्न-धन एवं सर्वस्व देने वाली महागौरी अन्नपूर्णा के नाम से विख्यात हुई. इनके पूजा के दिन ही कुमारिका पूजन अत्यंत महत्वपूर्ण है. आचार्य ने बताया कि शनिवार को ही अपराह्न् 4.16 से नवमी आरंभ हो जा रहा है. इसलिए उक्त समय के बाद से श्रद्धालु हवन आदि की प्रक्रिया आरंभ कर सकते है. उन्होंने बताया कि महागौरी की आराधना के लिये सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, श्रण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते मंत्र से माता की पूजा श्रेष्ठकर व उत्तम मानी जाती है.