राजनीतिक दृष्टि से पश्चिम चंपारण का इलाका समृद्ध रहा है. राष्ट्रपिता महत्मा गांधी की कर्मभूमि के रूप में भी इसे जाना जाता है. जिले की सीमा नेपाल से मिलती है. लिहाजा यह कई मायने में संवेदनशील है. क्षेत्रफल की दृष्टि से यह बिहार के बड़े जिलों में शुमार है.
वाल्मिकीनगर, जो भैंसालोटन के नाम से भी प्रसिद्ध है, राज्य का प्रमुख पर्यटन स्थल है. कभी बेतिया राज के सहारे यहां की चीजें चलती थीं. कुछ दशक पहले यह इलाका दस्युओं की गतिविधियों लिए जाना जाने लगा था, लेकिन अब यहां शांति है. पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की नौ में से चार सीटें भारतीय जनता पार्टी को, तीन जनता दल यूनाइटेड और दो निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलीं थीं.
लौरिया
दल बदल से बदला समीकरण
भाजपा व जदयू गंठबंधन टूटने के बाद इस सीट पर भी भाजपा नेताओं ने अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक दी है. इसमें भाजपा के जिलाध्यक्ष संजय पांडेय व पूर्व पेट्रोलियम सचिव राघव शरण पांडेय व शराब व्यवसायी विजय प्रसाद गुप्ता का नाम भी चर्चा में है. काफी दिनों से यह सीट जदयू के कोटा में थी. इस बार गंठबंधन टूटने के बाद समीकरण भी बदले है.
बसपा के टिकट पर पिछली बार विधान सभा का चुनाव लड़े जिप उपाध्यक्ष संतोष कुमार राव उर्फ बब्लू सिंह इस बार भाजपा में शामिल हो गये हैं. इस बार उन्हें विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार चुनाव में पार्टी का टिकट भी मिला था. इनके भाजपा में शामिल होने के बाद क्षेत्र के समीकरण में बदलाव आया है. 2010 के चुनाव में इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते पूर्व कला संस्कृति मंत्री विनय बिहारी अब जीतन राम मांझी के साथ हैं. वे हम पार्टी के उम्मीदवार हो सकते है.
एनडीए में सीट बंटवारे के बाद स्थिति साफ होगी.
इन दिनों
भाजपा, हम, राजद व जदयू चारों दल के उम्मीदवार इस क्षेत्र में ऐड़ी चोटी एक किये हुए हैं. हम व भाजपा वरीय नेताओं को बुला कर सभा करायी जा रही है.
तो जदयू के नेता हर घर दस्तक देने में व्यस्त है.
मुद्दे :
बौद्ध सर्किट से लौरिया को जोड़ना
लौरिया व योगापट्टी को नप का दर्जा
गन्ना किसानों का बकाया भुगतान
सिंचाई की सुविधा.
नरकटियागंज
उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त
नरकटियागंज में पांच साल में दो बार चुनाव हुए. 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सतीश चंद्र दुबे ने फखरुद्दीन खां को पराजित किया था. 2014 में उनके वाल्मीकि नगर से सांसद चुने जाने के बाद यहां उप चनाव हुआ, जिसमें भाजपा की रश्मि वर्मा जीतीं. कांग्रेस में फखरुद्दीन खां फिर से उम्मीदवारी की दावेदारी कर रहे हैं.
खां पहले जदयू में थे. उपचुनाव के पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे. वे इस बार भी यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
उनके अलावा और एक दर्जन नेताओं के नाम टिकट के दावेदारों की सूची में शामिल है. लोकसभा चुनव में कांग्रेस को यहां सबसे ज्यादा 37.03 फीसदी तथा जदयू को केवल 5.62 प्रतिशत वोट मिले थे. कांग्रेस के उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गयी थी. लिहाजा महागंठबंधन में इस सीट के इस बार भी कांग्रेस के कोटे में रहने की उम्मीद की जा रही है.
इन दिनों
भाजपा व कांग्रेस के नेता चुनावी तैयारी में जुटे हैं, जबकि जदयू व राजद के नेता भी अपनी-अपनी दावेदारी में लगे हुए हैं. भाजपा का परिवर्तन रथ घूम रहा है.
मुद्दे :
नरकटियागंज रेल लाइन पर ओवरब्रिज
सड़क, बिजली
अनुमंडलीय अस्पताल में सुविधा
रामनगर
अलग तरह का समीकरण
रामनगर अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है. लिहाजा जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों से यहां का राजनीतिक समीकरण अलग है. फिलवक्त भाजपा का कब्जा है. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को यहां सबसे ज्यादा वोट मिले थे.
जदयू के अलग होने के बाद हुए इस चुनाव में उसे विधानसभा चुनाव के मुकाबले 0.55 फीसदी अधिक वोट मिले, जबकि जदयू उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बची थी. कांग्रेस को 10.44 फीसदी वोट की बढ़त मिली थी.
इस लिहाज से देखें तो महागंठबंधन में कांग्रेस की इस सीट पर दावेदारी ज्यादा मजबूत है. भागीरथी देवी अभी वहां से भाजपा की विधायक हैं. उन्होंने कांग्रेस के नरेश राम को हराया था. इस बार भी उनके यहां से चुनाव लड़ने की संभावना जतायी जा रही है. हालांकि उनके बाहरी होने का आधार बना कर पार्टी के दूसरे नेता भी टिकट की दौड़ लगा रहे हैं.
इन दिनों
भाजपा का पविर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है. जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम चल रहा है. कांग्रेस केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जनता को गोलबंद करने में जुटी है.
मुद्दे :
भ्रष्टाचार पर अंकुश
रामनगर को अनुमंडल और बखरी को प्रखंड का दर्जा
दोन के गांवों में बिजली
आरओबी के नीचे से रास्ता
वाल्मीकिनगर
वाल्मीकिनगर विधानसभा सीट पर अभी जदयू का कब्जा है. इसके राजेश सिंह ने राजद के मुकेश कुमार कुशवाहा को 10.21 फीसदी वोटों के अंतर से हराया था. इस बार के चुनाव में दोनों दल साथ-साथ होंगे. पिछले चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे मो इरशाद हुसैन भी सक्रिय राजनीति में बने हुए हैं.
उधर बसपा के धीरेंद्र प्रताप सिंह भाजपा के शामिल हो गये हैं. सिंह क्षेत्र में सक्रिय भी हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां वोटों की भारी बढ़त मिली थी. भाजपा और दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी के बीच 26.97 फीसदी वोट का अंतर था, जबकि जदयू को करीब 20 फीसदी वोट का नुकसान हुआ था. इस बार महागंठबंधन में यह सीट किस दल के कोटे में जाती है, इसके नेताओं की फिलहाल इसी पर नजर है.
इन दिनों
राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक ठीक करने में जुटी हैं. भाजपा की बूथ स्तर पर कार्यकर्ता बैठकें हो चुकी हैं. परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है. जुदयू का जनसंपर्क अभियान जारी है. कांग्रेस और राजद केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों को गांलबंद कर रहे हैं.
मुद्दे:
गंडक पार के चार प्रखंडों में बिजली
धनहा को अनुमंडल का दर्जा
थारु आदिवासियों के आरक्षण प्रतिशत में बढ़ोतरी
सड़क एवं शिक्षा
नौतन
एनडीए में टिकट के कई दावेदार
वाल्मीकि नगर के पूर्व सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो नौतन से विधायक रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव में हार के बाद इस विधान सभा क्षेत्र से उनके लड़ने की उम्मीद लगायी जा रही है. इस सीट से भाजपा के कई स्थानीय नेता भी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. इसमें भाजपा के सत्येंद्र शरण श्रीवास्तव, बबुआ जी दूबे व रूपक लाल श्रीवास्तव आदि प्रमुख हैं. 2009 में लोजपा के टिकट पर विधायक बने नारायण साह इस बार भाजपा में शामिल हो गये है.
इससे भी इस क्षेत्र की राजनीति में नयी मोड़ आयी है. वैसे उम्मीदवारी का दावा तो रालोसपा के नेता भी कर रहे हैं. उनमें नंद किशोर कुशवाहा, अमित गिरि व रालोसपा के जिलाध्यक्ष कैलाश प्रसाद शामिल हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा को पिछले विधानसभा में एनडीए को मिले वोट से करीब आठ फीसदी ज्यादा वोट मिले, वहीं जदयू को महज 0.49 फीसदी वोट का नुकसान हुआ.
इन दिनों
जदयू , भाजपा, रालोसपा व लोजपा के नेता दौरा कर रहे हैं. भाजपा के परिवर्तन रथ की तैयारी चल रही है. जदयू का हर घर दस्तक का कार्यक्रम चल रहा है.
मुद्दे :
गंडक नदी के बाढ़ से विस्थापित लोगों का पुनर्वास
कटाव निरोधी कार्य
बिजली व सड़क
कानून व्यवस्था.
बेतिया
पुराने योद्धा आमने-सामने
बेतिया में कई वजहों से समीकरण बदल गये हैं. राजद और जद यू के बीच चुनावी तालमेल तो हुआ ही है, पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले निर्दलीय ने भी जद यू का दामन थाम लिया है.
पिछले चुनाव में भाजपा की रेणू देवी ने निर्दलीय अनिल झा को पराजित किया था. श्री झा भाजपा के नेता रहे हैं, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर वह 2010 के विधानसभा चुनाव में बागी हो गये थे. चुनाव के बाद वह जदयू में शामिल हो गये. इस बार के चुनाव में उन्होंने जदयू से उम्मीदवारी के लिए दावा ठोंका है. भाजपा यहां से पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी है.
जदयू से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट में करीब चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई. जदयू के भी एनडीए को विधानसभा मिले वोट से करीब तीन फीसदी की बढ़त ली. नुकसान कांग्रेस-राजद गंठबंधन को हुआ. इस बार के चुनाव में यह गणित भी काम करेगा.
इन दिनों
भाजपा की ओर से लगातार कार्यक्रम का आयोजन हो रहा. जद यू भी हर घर दस्तक कार्यक्रम कर रहा है. दोनों दल संपर्क कर रहे हैं.
मुद्दे :
छावनी ओवर ब्रिज का निर्माण नहीं होना
सड़क व बिजली की समस्या
सिंचाई की सुविधा
रोजगार के साधन व विधि व्यवस्था.
सिकटा
अल्पसंख्यक वोट पर राजनीति
पहली बार 1995 में इस क्षेत्र में भाजपा का खाता खुला और दिलीप वर्मा विधायक बने. 2005 में विधानसभा भंग होने पर हुए चुनाव में कांग्रेस से खुर्शीद आलम विधायक बने. पिछले चुनाव में कांग्रेस छोड़ जदयू में शामिल हुए खुर्शीद आलम को निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप वर्मा ने हराया. लोकसभा चुनाव में जदयू व भाजपा के अलग होने पर इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को लाभ मिला.
कांग्रेस दूसरे और जद यू तीसरे स्थान पर रहा. यहां पिछड़ी जाति व अल्पसंख्यक वोट के आंकड़े पर ही राजनीति होती आ रही है. फिलहाल भाजपा व जदयू में उम्मीदवारी को लेकर नेताओं में होड़ मची हुई है. कभी यह कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. भाजपा से अलग होने के बाद जदयू को लोकसभा चुनाव में 20.26 फीसदी वोट का भारी नुकसान हुआ.
सिकटा विधानसभा वर्ष 1951 में अस्तित्व में आया. इस क्षेत्र से सबसे पहले विधायक फजलुउर रहमान कांग्रेस पार्टी से विधायक बने. 1962 में कांग्रेस के इस गढ़ से सोशलिस्ट पार्टी से रैफुल आजम व 1967 में सीपीएम से यूएस शुक्ला विधायक बने.उसके बार कांग्रेस की खोयी हुई प्रतिष्ठा तीन बार विधायक बन कर फैयाजुल रहमान ने लौटायी. उसके बाद इस सीट पर जनता दल हावी हो गया. लगातार दो बार धमेंद्र प्रसाद वर्मा जनता पार्टी से विधायक रहे.
इन दिनों
भाजपा व जदयू अपने-अपने हिसाब से चुनावी तैयारी में लगे हुए है. भाजपा के कार्यकर्ता गांव-गांव घूम कर पार्टी का प्रचार कर रहे है. वही जदयू नेता बिहार के विकास की बात कर रहे है.
चनपटिया
राय का इनकार, कई दावेदार
चनपटिया में पिछले चुनाव में भाजपा के चंद्रमोहन राय ने बसपा के एजाज अहमद को हराया था. एजाज अहमद अब राजद के साथ हैं. वे क्षेत्र के समीकरण के आधार पर इस बार भी राजद से टिकट के दावेदार हैं.
पूर्व मंत्री सह चनपटिया के विधायक चंद्रमोहन राय ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी है. उनके चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा से उम्मीदवारों की बाढ़ सी आ गयी है. यह भाजपा नेतृत्व के समक्ष एक अलग परेशानी का कारण बनेगा. कांग्रेस से पिछले विधानसभा चुनाव में उद्योगपति टीपी शर्मा ने भाग्य आजमाया था. चुनाव के हार-जीत होते ही वे क्षेत्र छोड़ कर चले गये. टीपी शर्मा मझौलिया के दुधा मठिया गांव के रहने वाले हैं. गंठबंधन टूटने के बाद जदयू को 4.69 फीसदी ज्यादा और भाजपा को 0.15 फीसदी कम वोट मिले.
इन दिनों
भाजपा व जदयू, राजद व कांग्रेस नेता चुनावी तैयारी में लगे हुए है. जदयू की ओर से हर घर दस्तक का कार्यक्रम चला रहा है. वही भाजपा के परिवर्तन की रथ की तैयारी चल रही है.
मुद्दे :
चनपटिया का बंद चीनी मिल चालू कराना
सड़क व बिजली
कुमारबाग स्टील प्लांट को चालू कराना
सिंचाई व रोजगार की सुविधा
शिक्षा में सुधार.
बगहा
टिकट के जुगाड़ में लगे नेता
बगहा विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनाव को लेकर जातीय गोलबंदी तेज है. सत्ताधारी दल जहां विकास के कार्यक्रमों को भुनाने में लगा है, वहीं प्रतिद्वंद्वी दलों में उम्मीदवारी को लेकर घमसान है. इन सब के बीच बगहा की जनता को अपनी चिर प्रतीक्षित मांग बगहा को राजस्व जिला का दर्जा नहीं मिलना खटक रहा है.
बीते चुनाव में जदयू के निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे पूर्व विधायक रामप्रसाद यादव फिलवक्त भाजपा के सिपाही बन बैठे हैं. भाजपा के कई अन्य कद्दावर नेता अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं तो एनडीए गंठबंधन की लोजपा के कार्यकर्ताओं की भी दावेदारी है, जबकि बसपा के मो कमरान भी पूरे जोर शोर से लगे हैं. भाजपा से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव में जदयू को यहां 45.75 फीसदी वोट का भारी नुकसान हुआ.
इन दिनों
सत्ताधारी विधायक गांव – गांव में कार्यकर्ता और समर्थकों को गोलबंद करने में जुटे हैं तो गंठबंधन दल के राजद के कई नेता भी अपनी दावेदारी को लेकर जोर आजमाइश कर रहे हैं. भाजपा का पोस्टर युद्ध चल रहा है.
मुद्दे:
बगहा को राजस्व जिलाका दर्जा
गंडक नदी पर पुल
बगहा से पनिअहवा तक सड़क निर्माण
कानून व्यवस्था में सुधार.