नहीं सुलझी बॉडीगार्ड हत्या की गुत्थी
बेतियाः सरकारी बॉडीगार्ड हत्या मामले में पुलिस ने भले ही अधिवक्ता, एसटीएफ जवान सहित उनके आधा दर्जन सहयोगियों को किस्त दर किस्त गिरफ्तार कर लिया हो. लेकिन, पुलिस अब भी हत्या के ठोस कारण पता लगाने में असफल रही है. शायद यही कारण है कि इस मामले में पुलिस अब भी तीन बिंदुओं पर गहन […]
बेतियाः सरकारी बॉडीगार्ड हत्या मामले में पुलिस ने भले ही अधिवक्ता, एसटीएफ जवान सहित उनके आधा दर्जन सहयोगियों को किस्त दर किस्त गिरफ्तार कर लिया हो. लेकिन, पुलिस अब भी हत्या के ठोस कारण पता लगाने में असफल रही है. शायद यही कारण है कि इस मामले में पुलिस अब भी तीन बिंदुओं पर गहन छानबीन कर रही है. पुलिस का मानना है कि एक लड़की जो पूर्व में भी विवादास्पद रही हो उसे लेकर एक पुलिस कर्मी दूसरे पुलिस कर्मी की हत्या नहीं कर सकता. दूसरी बात करीब छह माह पूर्व हुए दोहरे हत्याकांड के बाद अधिवक्ता का परिवार कमजोर पड़ गया था. जो विरोधियों के लिये सुनहरा अवसर था. लेकिन ऐन वक्त पर अधिवक्ता को मिले बॉडीगार्ड ने विरोधियों के मनसूबों पर पानी फेर दिया.
विरोधी बॉडीगार्ड को किसी प्रकार रास्ते से हटाकर अधिवक्ता के परिवार को फंसाने के फिराक में थे. तीसरी बिंदु यह कि शातिर सन्नी मिश्र व उसके विरोधियों के बीच एक तीसरा गिरोह भी काम कर रहा है जो दोनों को आपस में लड़ाकर अपना वर्चस्व कायम करना चाह रहा है. पुलिस का यह भी मानना है कि कही न कही से इस हत्याकांड की गुत्थी रैंक प्वाईंट से जुड़ी हुई है. इधर, यूपी के महाराजगंज के चौबे मुड़ेरी निवासी रेशमा (काल्पनिक नाम) ने न्यायालय के समक्ष दिये अपने बयान में बताया है कि वह जेल में रहने के दौरान शिकारपुर थाना के रखही निवासी शेख शब्बू के कहने पर उससे शादी को राजी हो गयी थी. उसी के कहने पर वह नगर के विभिन्न जगहों पर भी रही जहां उसके साथ बदसलूकी भी की गयी.
शेख शब्बू हमेशा उसके खर्च भेजा करता था. इसके बाद शेख शब्बू से कोर्ट हाजत में मिलने के दौरान ही उसकी मुलाकात सरकारी बॉडीगार्ड रजनीश व एसटीएफ जवान दीपक राम उर्फ फुलन से हुई थी. उसने न्यायालय के समक्ष यह भी बताया है कि घटना की रात रजनीश उसे समाहरणालय चौक से अपने साथ बुलाकर अधिवक्ता के आवास पर ले गया था. जहां उसका पीछा करते-करते एसटीएफ जवान दीपक अपने एक सहयोगी के साथ आधी रात को गया था. अधिवक्ता के आवास का छोटा गेट बंद नहीं होने के कारण दीपक अंदर चला गया और रेशमा को जगा कर उससे रजनीश के बारे में पूछा और रेशमा को गेट से बाहर निकाल दिया. फिर दीपक व उसके सहयोगी रजनीश के कमरे में चले गये. इस बीच एक आवाज हुई.
फिर काफी देर बीत जाने के बाद जब दोनों नहीं आये तो रेशमा रजनीश के कमरे की ओर गयी तो वहां रजनीश का सिर मच्छरदानी में लटका हुआ था और उसके सिर से खून गिर रहा था. इसे देख वह वहां से भाग निकली. जबकि दीपक व उसके सहयोगी दरवाजे को अंदर से बंद कर चारदीवारी फांद कर फरार हो गये. रेशमा ने यह भी बताया है कि घटना के दूसरे दिन दीपक ने उसे फोन कर बताया था कि उसका आशिक मार दिया गया है. दूसरी ओर रेशमा ने अपने बयान में कई बार स्टेशन पर रहने, वहां आने व जाने का जिक्र किया है. जिससे प्रतीत हो रहा है कि कही न कही से इस मामले का तार स्टेशन व स्टेशन स्थित रैक प्वाईंट से भी जुड़ा हो सकता है. इस मामले में पुलिस पूरे प्रकरण पर नजर रखी हुई है. पुलिस अधीक्षक मेघावत सुनील कुमार नायक द्वारा गठित दो टीमे अब भी गोपनीय तरीके से इस दिशा में कार्य कर रही है. साथ ही उस नकाब को हटाने की कोशिश कर रही है जिसके पीछे छिपे मास्टर माइंड चेहरे ने एक पुलिस जवान को चंद सिक्कों का लालच दे मोहरा बना दिया और दूसरे पुलिस जवान की हत्या करवा दी है.