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प्रखंड प्रमुख ने दिग्गज को दी सियासी पटखनी

गणेश वर्मा बेतिया : सूबे के भाजपा अतिपिछड़ा वर्ग की चेहरा सह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु देवी को प्रखंड प्रमुख मदन मोहन तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने सियासी पटखनी दी. भाजपा के गढ़ में रेणु की यह हार काफी मायने रखती है. मायने इसलिए क्यूंकि चंपारण में भाजपा की राजनीति हमेशा से रेणु के ईद-गिर्द ही […]

गणेश वर्मा
बेतिया : सूबे के भाजपा अतिपिछड़ा वर्ग की चेहरा सह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु देवी को प्रखंड प्रमुख मदन मोहन तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने सियासी पटखनी दी. भाजपा के गढ़ में रेणु की यह हार काफी मायने रखती है. मायने इसलिए क्यूंकि चंपारण में भाजपा की राजनीति हमेशा से रेणु के ईद-गिर्द ही घूमती है.
चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो या फिर नगर परिषद का. लेकिन इस बार बदले हालात में बेतिया की जनता ने भाजपा संगठन में अच्छी पहुंच रखने वाली रेणु को नकार दिया है. 15 साल से विधायक रही ‘दीदी’ की हार ने राजनीति के आकाओं के होश उड़ा दिये हैं.
बात करे मदन मोदन तिवारी की तो उन्होंने अपने राजनीति की शुरुआत वर्ष 2001 में पंचायत चुनाव में मुखिया के पद से की. 2010 में रेणु से 30 हजार के भारी-भरकम वोटों से हार मिलने के बाद भी वे राजनीति से तौबा नहीं किये.
चुनावी सफर में मुखिया से प्रखंड प्रमुख बने मदन मोहन तिवारी लगातार प्रयास जारी रखा. महागंठबंधन होने के बाद कयास लगाया जा रहा था कि यह सीट जदयू व राजद के कोटे में चली जायेगी. लेकिन सीट कांग्रेस के कोटा में आयी. फिर भी स्थानीय राजनीतिज्ञ मान रहे थे कि इस सीट से कांग्रेस के नहीं जदयू के नेता ही चुनाव लड़ेंगे.
इन सभी अफवाहों के बीच मदन मोहन तिवारी ने टिकट की लड़ाई में सफलता पा ली तो महागंठबंधन में बगावत की बूं आने लगी. लेकिन एकबारगी मदन मोहन तिवारी जातीय समीकरण में अपनी पैठ बना चर्चा में आ गये. कुछ ‘स्थानीय विधायक हराओ’ फैक्टर ने भी उनका साथ दिया. नतीजा बेतिया सीट से मदन मोहन ने 15 सालों बाद भाजपा को हरा अपना कब्जा जमाया.

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