धान के कटोरा में फलेगा शिमला मिर्च
बेतियाः धान का कटोरा कहे जाने वाले चंपारण के ख् ोतों में अब सिर्फ चावल व गेंहू ही नहीं होता. अन्य राज्यों में उगने वाले फसल के उत्पादन में भी पश्चिमी चंपारण अपनी पहचान बना रहा हैं.इस क्षेत्र के खेतों में अब शिमला मिर्च, बुरकली, जुगनी, पहाड़ी खीरा, इस्पास व चाइनिज कैबेज के साथ स्पैरोगैरेस […]
बेतियाः धान का कटोरा कहे जाने वाले चंपारण के ख् ोतों में अब सिर्फ चावल व गेंहू ही नहीं होता. अन्य राज्यों में उगने वाले फसल के उत्पादन में भी पश्चिमी चंपारण अपनी पहचान बना रहा हैं.इस क्षेत्र के खेतों में अब शिमला मिर्च, बुरकली, जुगनी, पहाड़ी खीरा, इस्पास व चाइनिज कैबेज के साथ स्पैरोगैरेस (पेड़ में उगने वाला बंदा गोभी )आदि का भी उत्पादन हो रहा हैं.जी हां यह सच्चई हैं थारु विकास योजना के तहत वर्ष 2012 से ही गौनाहां प्रखंड के कई गांवों में किसान इसकी खेती कर रहे हैं.
यह कार्य नाबार्ड व आसेफा आर्गेनाइजेशन के मदद से संभव हुआ हैं. आसेफा के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर संतोष कुमार साहा ने बताया कि नाबार्ड इस योजना का संयोजक हैं. थारू व आदिवासी किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए यह योजना चलायी जा रही हैं.इस योजना के तहत अबतक 425 किसानों का चयन करा कर उक्त सब्जियों के उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं.
छोटे किसानों का होता है चयन
इस योजना में छोटे किसानों की माली हालत में सुधार के लिए उनका ही चयन इस योजना के लिए किया जाता हैं.प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर ने बताया कि इसमे 2.5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों का चयन किया गया हैं.ताकि कम भूमि में इन सब्जियों की खेती कर अधिक से अधिक पैसा कमा सकें.
बीज व खाद भी दिया जाता है मुफ्त
बाहरी सब्जियों के खेती के लिए बीज व खाद भी मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता हैं.फसल के उत्पादन तक किसानों के खेतों में जाकर कृषि वैज्ञानिक उनको फसल के देखभाल का गुर भी सिखाते हैं.