न्यायिक व्यवस्था लोकतंत्र का रक्षक
बेतियाः बार कौंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्र ने कहा कि बार और बेंच का अटूट संबंध है. दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों के कंधों पर कानून की रक्षा की जिम्मेवारी है. वे बुधवार की रात्रि में विधिज्ञ संघ के प्रांगण में आयोजित विधि दिवस के अवसर पर अधिवक्ताओं को संबोधित […]
बेतियाः बार कौंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्र ने कहा कि बार और बेंच का अटूट संबंध है. दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों के कंधों पर कानून की रक्षा की जिम्मेवारी है.
वे बुधवार की रात्रि में विधिज्ञ संघ के प्रांगण में आयोजित विधि दिवस के अवसर पर अधिवक्ताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए न्यायिक व्यवस्था बनी है. न्यायपालिका स्वस्थ लोकतंत्र के लिए प्रहरी के रूप में काम कर रही है और अधिवक्ता इसके संरक्षक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. इसके पूर्व विधि दिवस समारोह का उद्घाटन मनन मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्वलित कर किया. समारोह की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष मदन मोहन मिश्र ने किया. इस अवसर पर सर्वप्रथम पांच वरीय अधिवक्ताओं को साल ओढ़ा कर सम्मानित किया गया.
उसके बाद नये आगंतुक छह अधिवक्ताओं को अधिवक्ता कल्याण कोष से विधि पुस्तक दिया गया. संघ के सचिव किशोरी लाल सिकारिया ने संघ के विकास से जुड़े प्रतिवेदन को अधिवक्ताओं के समक्ष रखा. संघ के कोषाध्यक्ष सह सचिव अधिवक्ता कल्याण कोष विजय श्रीवास्तव ने अधिवक्ताओं के कल्याण से जुड़ी योजनाओं को विस्तार से बताया. साथ ही उन्होंने इस अवसर पर यह घोषणा किया कि नये वर्ष से अधिवक्ताओं की मृत्यु के उपरांत कल्याण कोष से परिजनों को कुल 2,25,000 रुपया दिया जायेगा. पूर्व अध्यक्ष राघव शरण चौबे ने कहा कि न्यायिक पदाधिकारी देव कुरसी पर विराजमान हैं.
उन्हें अपने अंदर देवत्व लाना होगा. वरीय अधिवक्ता व पूर्व अध्यक्ष ठाकुर विजय सिंह ने न्यायिक प्रक्रिया में अधिवक्ताओं के योगदान पर विस्तृत चर्चा की. मौके पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किया गया. इसलिए इस दिन को हमलोग विधि दिवस के रूप में मनाते हैं. न्यायिक पदाधिकारी और अधिवक्ता विधि के शासन को बरकरार रखने में लगे हैं. विधि शिक्षा में ध्यान और एकरूपता की जरूरत है. अधिवक्ताओं के बिना न्याय की कल्पना संभव नहीं है.
प्रथम अवर सत्र न्यायाधीश कृष्ण नंदन कुमार ने बताया कि न्यायिक पदाधिकारियों एवं अधिवक्ता में अन्योन्याश्रय संबंध है. वहीं प्रधान न्यायाधीश सुरेश श्रीवास्तव ने अधिवक्ताओं के सकारात्मक सोच की सराहना की. इसके अलावा बिहार बार कौंसिल के सदस्य उमेश प्रसाद सिंह, प्रेम कुमार झा, अजीत कुमार सिंह, म. सैदुल्लाह ने भी अधिवक्ताओं को संबोधित किया. मंच संचालन लोक अभियोजन शैलेंद्र सिन्हा तथा धन्यवाद ज्ञापन विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष मदन मोहन मिश्र ने किया. मौके पर एगेंद्र कुमार मिश्र, अजय कुमार दूबे, संयुक्त सचिव दिनेश मिश्र, सैयद अबु तारिक, शहजाद इमाम कादरी समेत सैकड़ों अधिवक्ता शामिल थे.