वाल्मीकिनगर : बिहार में शराब बंदी के फरमान ने शराब के शौकीनों की रातों की नींद व दिन का चैन छिन लिया है. वाल्मीकिनगर थारु- आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण देशी शराब के शौकीनों को सस्ते मूल्य पर आसानी से शराब उपलब्ध हो जाता था.
पुलिस प्रशासन की सख्ती के कारण लोग शराब बनाने से गुरेज रहे है. शाम होते हीं सैर करने के बहाने गंडक बराज के रास्ते नेपाल जाने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. गंडक बराज के 30 नंबर फाटक के समीप त्रिवेणी मार्ग व रानीनगर मार्ग पर दर्जनों शराब की दुकानें गुलजार हो गयी है.
दोपहर दो बजे से ही लोग नेपाल का रुख करने लगते है. शनिवार की दोपहर 2:45 बजे दोपहर गंडक बराज के रास्ते पैदल व साइकिल से जाने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है. नेपाल के शराब की दुकानों में देशी दारू समेत उच्च क्वालिटी के शराब की बोतलें सजी है. ग्राहक मोलभाव कर अपने पॉकेट के हिसाब से दारू का ऑर्डर करते है.
छोटी मछली के शौकीन
ये शराब की दुकानें गंडक नदी के तट पर बसी है. लिहाजा मछुआरों से छोटी प्रजाति की मछली आसानी से उपलब्ध हो जाती है. जो ‘ चखना’ का मुख्य आइटम है. इसके अलावा मटन, चिकेन, कच्चा चना, सलाद से लोग शराब की चुस्कियां लेते है. हालांकि नेपाल में दारू पीने वाले इस बात का सतर्कता बरतते है कि लौटने के क्रम में ज्यादा नशे के कारण सीमा पर तैनात एसएसबी व वाल्मीकिनगर पुलिस की निगाह न चढ़े.