एक डॉक्टर के जिम्मे एमजेके अस्पताल की इमरजेंसी सेवा

दुआ करें कि आप बीमार नहीं पड़ें और आपको भरती करने की नौबत ना आये, नहीं तो आप जिला मुख्यालय पर मुफ्त व बेहतर सरकारी इलाज के लिए तरस जायेंगे़ दवाएं नहीं मिलेंगी़ डॉक्टर भी कभी-कभार जांच करेंगे़ कुछ इलाज मिलेगा भी तो आपका जेब खाली हो जायेगा़ बेतिया : यूं तो मेडिकल कॉलेज की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2016 8:00 AM
दुआ करें कि आप बीमार नहीं पड़ें और आपको भरती करने की नौबत ना आये, नहीं तो आप जिला मुख्यालय पर मुफ्त व बेहतर सरकारी इलाज के लिए तरस जायेंगे़ दवाएं नहीं मिलेंगी़ डॉक्टर भी कभी-कभार जांच करेंगे़ कुछ इलाज मिलेगा भी तो आपका जेब खाली हो जायेगा़
बेतिया : यूं तो मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी चिकित्सा कक्ष में आठ विशेषज्ञ डॉक्टरों को रहने का नियम हैं, लेकिन बेतिया गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज सह एमजेके सदर अस्पताल की इमरजेंसी महज एक डॉक्टर के जिम्मे रहती है़ ऐसा नहीं है कि जीएमसीएस में डॉक्टरों की कमी के चलते ऐसी दिक्कत है़ लेकिन, यहां तो डॉक्टरों की पूरी फौज है़ बावजूद इसके इमरजेंसी की व्यवस्था नहीं सुधर रही है़
रविवार को भी इमरजेंसी में एमजेके अस्पताल के डा एसडी झा व मेडिकल कॉलेज के डा एसके रंजन की ड्यूटी दो बजे से रात आठ बजे तक की शिफ्ट में थी़ लेकिन, डा रंजन ड्यूटी से गायब दिखे़ डा झा अकेले गंभीर रोगों के आ रहे मरीजों की जांच कर रहे थे़ इसके अलावे वार्ड की कॉल भी इन्हीं के जिम्मे थी़
यह हाल तब है, जब जीएमसीएस में हर माह करीब दर्जन भर नये जूनियर रेजीडेंट के योगदान देने की जानकारी कॉलेज प्रशासन द्वारा सार्वजनिक की जा रही है़ डॉक्टर के गायब रहने से आये दिन मरीज की मौत पर हंगामा भी हो चुका है़ अमूमन हर दिन इसको लेकर तू-तू, मैं-मैं होती है़ इसके बाद भी कॉलेज प्रशासन उदासीन बना है़
दवाएं थीं ही नहीं, अब आरएल-डीएनएस भी खत्म: एमजेके सदर अस्पताल सह जीएमसीएच में करीब साल भर से इमरजेंसी व वार्ड में दवाएं व इंजेक्शन नहीं मिल रही है़
इधर, माह भर से आरएल, डीएनएस भी खत्म हो गया है़ लिहाजा सभी दवाएं बाहर से मरीजों को लाना पड़ रहा है़ जांच भी डॉक्टर बाहर की ही लिखते है़ं इसके लिए बकायदा डॉक्टरों का कमीशन बंधा हुआ है़
बिचौलिये के हवाले है अस्पताल, सीसीटीवी बंद : जीएमसीएस सह एमजेके सदर अस्पताल बिचौलिये के हवाले है़ं यहां सभी कार्य डॉक्टर बिचौलियों से कराते है़ं इधर, कुछ दिन पहले व्यवस्थाओं में सुधार के लिए निगरानी को लेकर लगी सीसीटीवी भी रविवार को बंद मिली है़
महज परामर्श तक सिमटी है ओपीडी : अस्पताल की ओपीडी महज परामर्श तक सिमट गई है़ डॉक्टर पुरजे पर बाहर की दवाएं लिखते है़ं इससे ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या भी कम हो गई है़

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