धरती के धड़कन को करें महसूस
-आशीष भट्ट- बेतियाः संकरी गलियां, गलियां भी ऐसी जिसमें साइकिल व मोटरसाइकिल छोड़ कर दूसरी कोई सवारी भी नहीं जा पाये. ऐसे मुहल्लों में एक मंजिल कौन कहे, बहुमंजिली इमारतें खड़ी हैं. भूकंप का झटका अगर आ गया तो इन गलियों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जायेगा. आपात सेवा के लिए एंबुलेंस भी नहीं […]
-आशीष भट्ट-
बेतियाः संकरी गलियां, गलियां भी ऐसी जिसमें साइकिल व मोटरसाइकिल छोड़ कर दूसरी कोई सवारी भी नहीं जा पाये. ऐसे मुहल्लों में एक मंजिल कौन कहे, बहुमंजिली इमारतें खड़ी हैं. भूकंप का झटका अगर आ गया तो इन गलियों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जायेगा.
आपात सेवा के लिए एंबुलेंस भी नहीं पहुंच सकता है. इससे साफ स्पष्ट होता है कि लोग भूकंप की दहशत से बिल्कुल अनभिज्ञ हैं. चौंकिये मत, अगर आपने भूकंपरोधी मकान नहीं बनवाया है तो एक झटके में भी आपका सपनों का महल बिखर सकता है. क्योंकि यह जिला सबसे अधिक क्षति करने वाले सूची में शामिल है. भूगोलविद् प्रो वशिष्ट नारायण चौबे के अनुसार चंपारण हाइ सिसमिक जोन में आता है. इससे भूकंप का झटका अन्य जिले की अपेक्षा यहां ज्यादा तेज होगी.
नहीं है कोई तैयारी
राज्य सरकार ने आम लोगों में जागरूकता के लिए भूकंप सुरक्षा सप्ताह मना रही है. 15 से 21 जनवरी तक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आदेशानुसार जन जागरूकता अभियान चलाना है. स्कूल स्तर से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक कार्यक्रम आयोजित करना है. जगह- जगह होर्डिग व पोस्टर भी लगाना था. लेकिन कहीं भी न तो पोस्टर लगा और न ही कोई कार्यक्रम आयोजित हुआ है.
जांच कर ही घर बनवाये
मिट्टी जांच कर ही मकान बनवाना ही चाहिए. भवन निर्माण में सबसे ज्यादा जरूरी मिट्टी जांच है. आर्किटेक्ट प्रियरंजन ने बताया कि जिले में अभी लोगों में भूकंपरोधी मकान बनावाने में जागरूकता नहीं है. भूकंप रोधी मकान बनाने के लिए छड़ की वेल्डिंग करनी चाहिए. सीमेंट व पानी का मिश्रण सही है या नहीं इसका ख्याल भी रखना पड़ता है. मकान बनवाने के लिए इंजीनियर से परामर्श लेकर ही मकान बनवायें. अन्यथा भूकंप में मकान मालिक को भारी नुकसान ङोलना पड़ सकता हैं.