चहेतों को दीं गुपचुप तरीके से नौकरियां

अपने कारनामों के चलते सुर्खियों में रहनेवाले स्वास्थ्य विभाग की बहाली में भी गड़बड़झाला हुआ है़ 38 कर्मियों की बहाली में सवाल उठने लगे है़ं दवा घोटाले का मामला अभी चल ही रहा है कि कार्यालय परिचारिकाओं की बहाली भी सवालों के घेरे में है़ बेतिया. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने गुपचुप तरीके से अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2016 7:30 AM
अपने कारनामों के चलते सुर्खियों में रहनेवाले स्वास्थ्य विभाग की बहाली में भी गड़बड़झाला हुआ है़ 38 कर्मियों की बहाली में सवाल उठने लगे है़ं दवा घोटाले का मामला अभी चल ही रहा है कि कार्यालय परिचारिकाओं की बहाली भी सवालों के घेरे में है़
बेतिया. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने गुपचुप तरीके से अपने चहेतो को नौकरियां बांट दी है. वह भी एक दो नहीं बल्कि पूरे 38 कर्मियों की नियुक्ति हुई है. इसको लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. मामला खुलने पर विभागीय अफसर आउटसोर्सिंग के तहत नौकरी देने की बात कह रहे हैं, जबकि इन 38 कर्मियों की बहाली के लिए आउटसोर्सिंग चयन में से न तो कोई विज्ञापन प्रकाशित कराया गया और न तो अनुमोदन ही हुआ था़
सचिव स्वास्थ्य सह कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से जिले के 38 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक-एक कार्यालय परिचारियों की बहाली करने का निर्देश मिला था.
इसपर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने गुपचुप तरीके से बहाली का कार्य शुरू कर दिया़ स्वास्थ्य विभाग कार्यालय से आदेश जारी कर शहर के मित्रा चौक स्थित लोक विकास केन्द्र को आउटसोर्सिंग एजेंसी चुन लिया गया और इसी के माध्यम से कुल 38 कार्यालय परिचारियों की बहाली कर दी गई़ बहाली में पैसों का लेन-देन भी खूब चला़ जबकि, जानकार बताते हैं कि किसी भी बहाली, एजेंसी चयन से पहले उसके अनुमोदन व अधिक प्रसारित अखबार में विज्ञापन की जरूरत होती है़ बता दें कि उक्त आउटसोर्सिंग एजेंसी को स्वास्थ्य केंद्रों में साफ-सफाई का भी जिम्मा दिया गया है़
इन कार्यों के लिए हुई बहाली
कार्यालय परिचारी को कार्यालय संबंधी पत्रों का वितरण, संदेश वाहक का कार्य करने के साथ ही साथ रोगियों को कतारबद्ध करना, चिकित्सकीय कार्य के लिए मरीजों को सहयोग करना, कार्यालय एवं कक्ष सेवक का कार्य, संबंधित संस्थान के सौंदर्यीकरण का कार्य, अक्षम्य मरीजों को दैनिक कार्यों में मदद करना, संस्थाओ में आने एवं जाने वाले अक्षम्य मरीजो को रेफरल सिस्टम से उतारने व चढ़ाने में मदद करना, संबंधित संस्थाओ के लिए उपयुक्त वस्तुओ को अन्य संस्थानों में लाने व पहुंचाने का कार्य करने के साथ हीं साथ रात्रि में सुरक्षाप्रहरी के रुप में उतरदायी होना भी बताया गया है.
डीएम से हुई शिकायत, जांच में खुलेगा मामला
बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ त्रिपाठी गुट के प्रांतीय संयुक्त सचिव दिलिप कुमार द्वारा डीएम व स्वास्थ्य सचिव ने शिकायती पत्र देकर इस बहाली को फरजी करार दिया है़ उनका सीधा आरोप है कि सीएस कार्यालय के कर्मचारियों ने नियम विरूद्ध तरीके से 38 परिचारियों की बहाली अफसरों से मिलीभगत कर करा दी है़ श्री कुमार ने बहाली में मोटी रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया है़ उन्होंने मामले की जांच कराने की मांग भी है़

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