29 स्कूलों में एमडीएम बंद
बेतियाः तमाम प्रयासों के बाद भी जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में संचालित मध्याह्न् भोजन योजना के बंद होने का सिलसिला थम नहीं रहा है. कभी चावल का अभाव, कभी राशि का अभाव तो कभी प्रभार व शिक्षा समितियों के विवाद के नाम पर बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाना आम बात हो गयी […]
बेतियाः तमाम प्रयासों के बाद भी जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में संचालित मध्याह्न् भोजन योजना के बंद होने का सिलसिला थम नहीं रहा है. कभी चावल का अभाव, कभी राशि का अभाव तो कभी प्रभार व शिक्षा समितियों के विवाद के नाम पर बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाना आम बात हो गयी है. विद्यालयों में मिड डे मिल बंदी के ताजा आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले के 29 प्रारंभिक विद्यालयों में एमडीएम योजना ठप है.
एमडीएम बंदी वाले विद्यालयों में सर्वाधिक गंडक पार के पिपरासी व भितहां प्रखंड के विद्यालय हैं, जहां एमडीएम बंदी की वजह से चावल का अभाव बताया जाता है. पिपरासी प्रखंड के 19 व भितहां प्रखंड के 6 विद्यालयों के बच्चे मिड डे मिल योजना के लाभ से वंचित हैं. वहीं मझौलिया के प्राथमिक विद्यालय मठिया टोला में रसोइया के बीमार होने और बैरिया के उत्क्रमित मध्य विद्यालय हाट सरैया में शिक्षा समिति विवाद का खामियाजा वहां के नामांकित बच्चे भुगत रहे हैं. प्राथमिक विद्यालय सेमाबाड़ी, मैनाटांड़ व प्राथमिक विद्यालय कोहड़ा कान्ही टोला, योगापट्टी में एमडीएम बंदी की वजह प्रभार का विवाद बताया जा रहा है.
जबकि पिछले एक वर्षो से जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय प्रभार विवाद के मामले में दोषी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करने का राग अलापता नजर आ रहा है. बावजूद प्रभार विवाद से एमडीएम का बंद होना विभागीय कार्यशैली व उसके दावों की पोल खोलता नजर आता है. एमडीएम बंदी के आंकड़े जिला एमडीएम कार्यालय के हैं. जबकि वास्तविकता इसके परे है. जानकारों की माने तो विद्यालय में संचालित एमडीएम योजना संचालन की जांच यदि ईमानदारी के साथ हो तो एमडीएम बंदी के आंकड़े चौंकानेवाले होंगे.