शहर में गूंजी या हसन, या हुसैन की सदाएं

बेतिया : करबला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों की शहादत के चालीसवें चेहलुम के अवसर पर सोमवार को जगह-जगह जुलूस, शब्बेदारी व नौहा मातम किया गया. ताजिए निकाले गये. फातिहां हुई. तकरीरें पेश की गई. सदाये पढ़ी गई और मोहम्मद साहेब के नवासे की शहादत को याद किया. इस दौरान सड़कों पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2016 4:42 AM

बेतिया : करबला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों की शहादत के चालीसवें चेहलुम के अवसर पर सोमवार को जगह-जगह जुलूस, शब्बेदारी व नौहा मातम किया गया. ताजिए निकाले गये. फातिहां हुई. तकरीरें पेश की गई. सदाये पढ़ी गई और मोहम्मद साहेब के नवासे की शहादत को याद किया. इस दौरान सड़कों पर या हसन-या हुसैन की सदाएं गूंजती रही़

चेहल्लुम पर शहर के उज्जैन टोला, दरगाह मुहल्ला, महावत टोली, छावनी, मंशा टोला आदि जगहों से जुलूस निकाले गये. जुलूस में शामिल लोग नौहाख्वानी व सीनाजनी करते हुए चल रहे थे.इस दौरान जगह-जगह पर अंजुमनों में शामिल लोगों को पानी पिलाने का इंतजाम किया गया था. ढोल व नगाड़ों की धुन पर जगह-जगह जुलूस को रोककर सीनाजनी की गई. इसी बीच रास्ते में लोगों ने इमाम हुसैन की याद में सदाएं पढ़ीं और कई जगहों पर तकरीर भी पेश की गई.
इस मौके पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी. जिन्होंने हाय हुसैन करते हुए मातमी माहौल में सदाएं बुलंद किया. देर शाम को गमगीन माहौल में इन सभी ताजिए को करबला में ले जाकर सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इससे पहले देर रात तक मातमी धुन पर लोग झूमते रहे. बता दें कि मुहर्रम के चालीसवें दिन मुस्लिम समुदाय की ओर से चेहलुम का जुलूस निकाल हसन-हुनैस की शहादत याद की जाती है.
शिया समुदाय ने मनाया मातम
चेहल्लुम को लेकर एक तरफ जहां शहर में मातमी जुलूस निकाले गये, वहीं दूसरी तरफ शिया समुदाय के लोगों द्वारा शहर के नया टोला स्थित सैयद मेंहदी हुसैन इमामबाड़े में जंजीर से इमाम हुसैन का चालीसवां मनाया गया.
इस अवसर पर मौलाना असगरी साहेब गोपालपुरी द्वारा करबला के जंग की दास्तां सुनाई गई. जिसे सुन कई आजमीन रो पड़े.
मातम मनाने के दौरान युवाओं द्वारा अपने शरीर को जंजीर से जख्मी किया गया.
बगहा में जुलूस के साथ करबला पहुंचे लोग .
नया टोला स्थित इमामबाड़े में मातम मनाते शिया समुदाय के लोग .
जंजीर से चालीसवां मनाता शिया समुदाय का युवक .
चेहल्लुम पर शहर व गांव में गमगीन माहौल में निकाले गये ताजिए, नौहाख्वानी व सीनाजनी करते पहुंचे करबला
हुआ फातिहां, पेश की गयीं तकरीर और पढ़ी गई सदाएं
करबला में हसन-हुसैन व इनके 72 साथियों की शहादत को किया गया याद

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