आक्रोश. विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं का धरना
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नाकामी छिपाने को बढ़ायी बिजली दर
आक्रोश. विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं का धरना बेतिया : भाजपा के नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार ने अपनी नाकामी को छिपाने के लिए और क्षतिपूर्ति के लिए बिजली दर में 55 फीसदी अप्रत्याशित बढ़ोतरी की है और उपभोक्ताओं पर अनावश्यक बोझ डाला है. बिहार राज्य विनियामक आयोग का प्रस्ताव पूरी तरह जनविरोधी है. उपभोक्ताओं […]
बेतिया : भाजपा के नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार ने अपनी नाकामी को छिपाने के लिए और क्षतिपूर्ति के लिए बिजली दर में 55 फीसदी अप्रत्याशित बढ़ोतरी की है और उपभोक्ताओं पर अनावश्यक बोझ डाला है.
बिहार राज्य विनियामक आयोग का प्रस्ताव पूरी तरह जनविरोधी है. उपभोक्ताओं को राहत के नाम पर सब्सीडी देने की बात जनता को भरमाने का प्रयास है. उक्त बातें स्थानीय पावर हाउस बिजली कार्यालय परिसर में बिजली दर में अप्रत्याशित 55 फीसदी वृद्धि के विरोध में धरने पर बैठे भाजपा नेताओं ने कही. साथ ही एक शिष्टमंडल ने बिहार के राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन विद्युत कार्यपालक अभियंता बेतिया के माध्यम से भेजा.
इसमें मांग की गयी है कि सीएम नीतीश कुमार बिजली दरों में हुई बढ़ोतरी को अविलंब वापस लें. अन्यथा भाजपा जनता के हित में आंदोलन को बाध्य होगी. इस मौके पर भाजपा के जिलाध्यक्ष गंगा प्रसाद पांडेय, पूर्व विधायक रेणु देवी, जिला मंत्री रवि सिंह, हृदयनारायण प्रसाद, महामंत्री संजीव कुमार पांडेय मिंटू, आनंद कुमार सिंह, रामेश्वर सर्राफ, राजेश जायसवाल, मीना सिंह, रंजन ओझा, रूपक श्रीवास्तव समेत अन्य सैकड़ों नेता मौजूद रहे.
नेताओं ने कहा कि बिजली दर में पांच दस फीसदी की बढ़ोतरी होती तो ठीक था. लेकिन 55 फीसदी की बढ़ोतरी कहीं से सही नहीं है. बिहार में बिजली दर से जनता पर 4700 करोड़ का भार पड़ेगा. बिहार की 11.5 करोड़ जनता पर बोझ पड़ेगा. राज्य में महंगाई बढ़ेगी जो गरीब, किसान और व्यापारी आम लोगों के साथ अन्याय है.
इसमें बढ़े दर से पाइवेट बिजली कंपनी को फायदा होगा. वक्ताओं ने कहा कि एक ओर पीएम नरेंद्र मोदी का नेतृत्व चल रही है. केंद्र सरकार अंधकार में डूबे एक-एक गांव को बिजली की रोशनी से जगमग करने की योजना को मूर्त रूप देने में रात दिन एक किये हुए है.
वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार विद्युत दर में वृद्धि कर करंट प्रवाहित कर इसमें अवरोध पैदा करने का काम कर रही है. बीपीएल परिवारों को मुफ्त में बिजली देने में बिहार देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे पीछे है. केंद्र सरकार प्रति बीपीएल परिवारों को तीन हजार रूपये देती है. बावजूद इसके बिहार में 83 लाख बीपीएल परिवारों में से 15 लाख को ही अब तक बिजली कनेक्शन दिया जा सका है. वक्ताओं ने कहा कि केंद्र में एनडीए की सरकार बनते ही बिहार के बिजली आवंटन 1978 मेगावाट थी. उसे बढ़ाकर 3000 मेगावाट से भी ज्यादा कर दिया गया है.
ग्रामीण विद्युतीकरण के तहत गहन विद्युतीकरण 46,475 गांवों में किया जाना था. जिसमें अब तक मात्र 18,444 गांवों का ही विद्युतीकरण हो पाया है. बिहार सरकार की गलत नीतियों के कारण एनटीपीसी का करोड़ों बकाया है. वहीं कांटी थर्मल का भी बिहार सरकार पर करोड़ों बकाया है. इस बकाये के कारण ही एक इकाई को बंद करनी पड़ी है.
विद्युत विभाग के माध्यम से भेजा बिहार के राज्यपाल को ज्ञापन
कहा बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली देने में बिहार सबसे पीछे
83 लाख बीपीएल परिवारों में से 15 लाख को ही अब तक दिया गया कनेक्शन
46,475 की जगह अब तक मात्र 18,444 गांवों का ही हो सका विद्युतीकरण
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