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यह बापू और चंपारण के साथ क्रूर मजाक: दीपंकर

सभा. दो-दो नकली गांधी कर रहे अपनी सरकारों का प्रचार बेतिया : भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बेतिया कलेक्ट्रेट के सामने 24 घंटे से चल रहे अनशन के समापन सभा को संबोधित करते हुए चंपारण सत्याग्रह शताब्दी को भूमि अधिकार संघर्ष का वर्ष बना देने का आह्वान किया. माले महासचिव ने कहा […]

सभा. दो-दो नकली गांधी कर रहे अपनी सरकारों का प्रचार

बेतिया : भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बेतिया कलेक्ट्रेट के सामने 24 घंटे से चल रहे अनशन के समापन सभा को संबोधित करते हुए चंपारण सत्याग्रह शताब्दी को भूमि अधिकार संघर्ष का वर्ष बना देने का आह्वान किया.
माले महासचिव ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश कुमार सरकार के ढोंग का परदाफाश करते हुए आज जो लड़ाई यहां शुरू हुई है, वह आनेवाले दिनों में सूबे और देश को नया रास्ता दिखाएगी.
राष्ट्रीय महासचिव ने भूख हड़ताल पर बैठे लोगों को शरबत पिला उनका अनशन तुड़वाया. कहा कि चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में दो-दो नकली गांधी घूम रहे हैं. वे अपनी-अपनी सरकारों का प्रचार हैं. यह गांधी और चंपारण के किसान मजदूरों का अपमान है. सौ साल बाद भी चंपारण के भूमिहीन गरीबों को वास-आवास की जमीन से वंचित रख कर केंद्र व राज्य सरकारों ने सत्याग्रह की भावना के साथ क्रूर मजाक ही किया है.
उन्होंने कहा िक पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित इस अनशन आंदोलन के जरिए हम गरीब भूमिहीन किसानों की भूमि अधिकार संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने यहां आए हैं. चंपारण के किसानों भूमिहीन मजदूरों के भूमि अधिकार की लड़ाई के लिए ही कांग्रेस और महात्मा गांधी की पहचान बनी. 1917 में शुरू हुई यह लड़ाई अंग्रेजों से देश की मुक्ति की लड़ाई में बदल गयी. 1942 तक आते-आते करो या मरो और अंग्रेजों भारत छोड़ो के आंदोलन बदल गई.
सौ साल बाद हम देख रहे हैं कि निलहों का राज तो चला गया लेकिन उनकी जगह मिलहों का राज कायम हो गया. यह कैसी विडंबना है की 1948 की 30 जनवरी को जिस विचारधारा के लोगों ने गांधी की हत्या कर दी थी, आज वह गांधी को भी हड़पने में लगे हुए हैं. जिस तरह से देश, जमीन, जंगल, पानी और मजदूरों की मजदूरी और अधिकार को हड़प रहे हैं. उसी तरह गांधी समेत देश के समूचे इतिहास को भी हड़प लेना चाहते हैं. हमें उनकी इस साजिश को हर हाल में नाकाम कर देना होगा.
सभा को वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, माले विधायक सुदामा प्रसाद आदि ने भी संबोधित किया. इस मौके पर भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, एआइएसएफ के संयोजक संतोष सहर, जन संस्कृति मंच के राज्य सचिव सुधीर सुमन, संतोष झा, निर्मोही, जिला नेता सुनील यादव, प्रभुदेव यादव, विष्णुदेव आदि मौजूद रहे. सभा का संचालन सुनील राव ने किया.
आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि हमारी पार्टी भूमिहीनों किसानों के लिए जमीन हासिल करने और उनकी जमीन बचाने की लड़ाई हमेशा से लड़ते आयी है. बंदोपाध्याय आयोग बना तो चंपारण के किसान मजदूरों को संगठित कर हमारी पार्टी की ओर से आयोग को सारी जानकारियां उपलब्ध करायी गयींं
आयोग की रिपोर्ट आयी और उसमें कहा गया कि चंपारण बिहार के अंदर सीलिंग से फाजिल बेनामी, भूदान इतनी जमीन है कि सभी गरीबों को वास आवास के लिए 10 डिसमिल और खेती के लिए एक एकड़ जमीन दी जा सकती है, लेकिन नीतीश कुमार इस आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

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