गंडक नदी में 25 तालाब बना पाली जायेंगी मछलियां

बेतिया : गंडक नदी में तालाब बनाकर मछलिया पाली जायेंगी. इसके लिए विभाग केज कल्चर विधि को अपनायेगा. इसके तहत नदी में विशेष जाल व उपकरणों के माध्यम से तालाब नुमा केज तैयार किया जायेगा. जो नदी के जलस्तर से एक मीटर उपर रहेगा. खास यह है कि इसमें पानी बहरा रहेगा, लेकिन मछलियां उस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2017 5:37 AM

बेतिया : गंडक नदी में तालाब बनाकर मछलिया पाली जायेंगी. इसके लिए विभाग केज कल्चर विधि को अपनायेगा. इसके तहत नदी में विशेष जाल व उपकरणों के माध्यम से तालाब नुमा केज तैयार किया जायेगा. जो नदी के जलस्तर से एक मीटर उपर रहेगा. खास यह है कि इसमें पानी बहरा रहेगा, लेकिन मछलियां उस केज से बाहर नहीं निकल पायेंगी. विभाग ऐसे 25 केज फिलहाल गंडक नदी में लगाने की तैयारी में है. इसको लेकर विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है.

जल संसाधन विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद ही कार्य शुरु कर दिया जायेगा. मत्स्य विभाग के निदेशक नेशात अहमद ने इसको लेकर वाल्मीकिनगर जल संसाधन विभाग के गेस्ट हाउस में मत्स्य विभागीय पदाधिकारियों एवं जल संसाधन विभाग अभियंताओं की संयुक्त बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि केज कल्चर के एक यूनिट से तीन टन मछली का उत्पादन किया जा सकेगा.
जलग्रहण क्षेत्र के पानी की गुणवत्ता बेहतर होगी एवं इसमें रहने वाली मछलियों का विकास होगा. यह केज पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा. इस दौरान विशेषज्ञों की टीम ने स्थल निरीक्षण भी किया. जिसके बाद मत्स्य संयुक्त निदेशक सुबोध कुमार ने बताया कि यह जलक्षेत्र केज कल्चर के लिए सबसे उपयुक्त है. केज में मछली पालन से मछली के क्षेत्र मे जिला आत्मनिर्भर बन सकेगा.
पहल
मत्स्य विभाग ने वाल्मीकिनगर में केज कल्चर को लेकर तैयार की योजना
मछली पालन पर जोर, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मिलेगा सहयोग, पयर्टन को भी मिलेगा बढ़ावा
जिला मत्स्य पदाधिकरी प्रदीप कुमार ने कहा कि केज कल्चर योजना के अनुसार उत्पादन होने लगेगा तो अपने पड़ोसी राज्य को भी मछली उपलब्ध करा सकेंगे. मछली उत्पादन से मूल्य वर्धित मत्स्य उत्पाद जैसे कुटीर उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. सरेया मन के मछलियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए निदेशक ने क्षेत्र निदेशक एस चंद्रशेखर के साथ विस्तृत चर्चा की. अख्तर जमाल ने बताया कि हमारे जलकरों एवं नदियों से छोटी मछलियां धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. उन्हें बचाने एवं वंश बढ़ाने के लिये कार्य किया जाय. सरेया मन में उपलब्ध मछलियों में कुछ ऐसी छोटी मछलियों की प्रजाति है जिसे देखनेमें खूबसूरत आकर्षक एवं चटकीले रंगो में दिखायी पड़ती है. जिसे अलंकारी मछली कहते है. इनकी मांग विदेशों में काफी है और महंगे कीमत में बिकती है. इंडियन ग्लास फिश नामक मछली को सिंगापुर में रंगीन बनाकर पूरे विश्व में आपूर्ति करता है.

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