वाल्मीकिनगर : पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकिनगर बाढ़ से अब तक 1000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं. यहां खाद्य सामग्री की किल्लत हो रही है. एसएसबी कैंप में अभी पानी का जमाव बना हुआ है. इसे ग्रामीणों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. जानकारी के अनुसार लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत अंतर्गत चकदहवा, झंडू टोला, बीन टोला, कानही टोला गांव में अब भी लगभग तीन से चार फीट पानी का जमाव बना हुआ है. बीते शुक्रवार को गंडक बराज से लगभग तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जो चकदहवा झंडू टोला क्षेत्र में प्रवेश कर गया था. गंडक बराज के लगातार जलस्तर में उतार-चढ़ाव होने के कारण इन गांव टोला के अलावा
चकदहवा क्षेत्र में लगभग 350 घरों के 1000 लोग गांव में पानी प्रवेश कर जाने के कारण घर के नजदीक के ऊंचे बांध और जगहों पर अपने परिवार और जान माल के साथ शरण लेने को मजबूर हो गये हैं. बताते चलें कि चकदहवा के लगभग 100, झंडू टोला के लगभग 80, बीन टोला के लगभग 70 के अलावा कानहीं टोला के 50 घरों में लगभग तीन से चार फीट पानी होने के कारण विस्थापित का जीवन गुजारने पर मजबूर हो गये हैं.
बाढ़ का पानी गांव में घुस जाने के कारण लोगों के घरों में रखा गया अनाज खराब हो गये हैं. प्रशासन की तरफ सहायता की आस में देखते यह ग्रामीण परेशानियों के बीच जीवन गुजारने पर मजबूर हो गये हैं. इन ग्रामीणों की सबसे बड़ी परेशानी पालतू पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराना है. सभी खेत पानी में डूबे हुए हैं.
आज पांचवें दिन भी गांव में पानी के जमाव को देखकर ग्रामीण बीमारियों के संक्रमण की आशंका से पूरी तरह भयभीत हैं. चारों तरफ पानी लगा होने के कारण जंगली कीड़े मकोड़ों का भय भी ग्रामीणों को सता रहा है.
झंडू टोला क्षेत्र में गंडक बराज के जलस्तर के गिरावट के बाद गंडक नदी तेजी से कटाव करने लगी है. जिस कारण नदी जिस कारण नदी तेजी से गांव के समीप आती जा रही है. बता दें कि झंडू टोला क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में कटाव की समस्या से लोग जूझ रहे हैं.
झंडु टोला और चकदहवा क्षेत्र के ग्रामीण के लिए नजदीकी बाजार जाने का एकमात्र मार्ग किचड़ और जलजमाव से भरा हुआ है. नजदीकी बाजार लगभग 10 किलोमीटर तक जाना खतरे से खाली नहीं है. इस बाबत पूछे जाने पर लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत के बीबीसी सदस्य गुलाब अंसारी ने बताया कि नदी कटाव कर रही है. गांव में जलजमाव है. लोगों का जीवन कष्टमय हो गया है
posted by ashish jha